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500+ Moral Short Stories in Hindi – बच्चों के लिए नैतिक शिक्षा की कहानियाँ

Short Moral Stories छोटे बच्चों के लिए मनोरंजन का साधन नही होती है बल्कि उन्हे जीवन की मूलभूत सीख सिखाने का सबसे शक्तिशाली साधन होती हैं. गांवों में अक्सर संयुक्त परिवार होते हैं तो ग्रामीण बच्चों को यह सीख घर के बुजुर्गों (जैसे दादा-दादी, नाना-नानी, ताऊ-ताई, चाचा-चाची आदि) के अनुभवों से मिलती रहती है.

घर के बुजुर्ग भी यह सीख छोटी हिंदी कहानियाँ (Short Hindi Stories) कहकर ही सिखाते हैं और बच्चे क्या घर के बड़े भी इन नैतिक शिक्षा की छोटी हिंदी कहानियाँ का खूब लुप्त उठाते हैं.

बच्चों को जीवन जीने की कला सिखाने वाली यह सीख शहरी और एकल परिवार के बच्चों को बहुत ही कम नसीब हो पाती है. इसलिए, ऐसे माता-पिता इंटरनेट और किताबों के जरिए ही बच्चों को प्रेरक हिंदी कहानियाँ (Motivational Short Hindi Stories) सुना पाते हैं.

यह छोटी हिंदी कहानियाँ हमें जीवन के बहुत बड़े-बड़े सबक सिखाती है और सुख-दुख, हार-जीत, सफलता, अनुशासन, मेहनत, चतुराई, बुराई-भलाई जैसे महत्वपूर्ण सिद्दांतों को कुछ ही शब्दों के माध्यम से सिखा जाती है.

इसलिए, नैतिक शिक्षा पर हिंदी कहानियाँ, सफलता पर हिंदी कहानी, भूत की कहानी, राजा-रानी की कहानी, शेर-चुहा की कहानी, लालच पर हिंदी कहानी, पंचतंत्र की कहानीयाँ, जातक कथाएं आदि विषयों पर सैंकड़ों-हजारों हिंदी कहानियाँ उपलब्ध हैं.

हम इस लेख में आपके और आपके बच्चों के लिए शिक्षाप्रद हिंदी कहानियाँ (Short Moral Stories for Children) लेकर आएं हैं. जिससे उन्हे नैतिक शिक्षा के साथ-साथ जीवन जीने के लिए जरूरी सबक भी अवश्य ही सीखने को मिलेंगे. इन कहानियों को आप सोते समय अपने लाड़लों को सुनाकर उन्हे अच्छी नींद भी दिला पाएंगे. अक्सर तभी इन कहानियों को Bed Time Short Hindi Stories भी कहा जाता है.

तो पेश हैं आपके लिए कुछ चुनिंदा छोटी हिंदी कहानियाँ.


शेर और चूहा

(A Short Story in Hindi)

एक बार की बात है. एक शेर जंगल में सो रहा था. जब शेर सो रहा था तो उस समय एक चूहा सोते हुए शेर के साथ खेलने लगा और उसके शरीर पर उछल कूद करने लगा. इससे शेर की नींद ख़राब हो गयी और वह उठ गया. तथा शेर बहुत गुस्सा हो गया.

गुस्से में शेर ने चूहे को दबोच लिया और जैसे ही शेर चूहे को खाने को हुआ तभी चूहे ने उससे विनती करी की उसे वह छोड़ दें. और वह उसे कसम देता है कि कभी उसकी जरुरत पड़े तब वह जरूर शेर की मदद के लिए आएगा. चूहे की इस साहसिकता को देखकर शेर बहुत हँसा और उसे जाने दिया.

कुछ महीनों के बाद, कुछ शिकारी जंगल में शिकार करने आये और उन्होंने अपने जाल में शेर को फंसा लिया. और उसे उन्होंने एक पेड़ से बांध दिया. ऐसे में परेशान शेर खुदको छुड़ाने का बहुत प्रयत्न किया. लेकिन, कुछ कर न सका. बेबस होकर वह जोर से दहाड़ने लगा.

उसकी दहाड़ बहुत दूर तक सुनाई देने लगी. वहीँ पास के रास्ते से चूहा गुजर रहा था और जब उसने शेर की दहाड़ सुनी तब उसे आभास हुआ की शेर तकलीफ में है.

जैसे ही चूहा शेर के पास पहुंचा वह तुरंत अपनी पैनी दांतों से जाल को कुतरने लगा. जिससे शेर कुछ देर में जाल से आजाद हो गया. जाल से बाहर निकलने पर उसने चूहे को धन्यवाद दिया. बाद में दोनों साथ मिलकर जंगल की और चले गए.

कहानी की सीख

इस कहानी से हमें एक-दूसरे की सहायता करने की सीख मिलती है और नाजायज किसी को परेशान नही करने का सबक भी मिलता है.


लालची शेर की कहानी

गर्मीयों के एक दिन  में जंगल के शेर को बहुत जोरों से भूख लगी. इसलिए वह इधर-उधर खाने की तलाश करने लगा.

कुछ देर खोजने के बाद उसे एक खरगोश मिला, लेकिन शेर ने खरगोश को छोटा समझकर उसे खाने के बजाए छोड़ दिया.

फिर कुछ देर ढूँढ़ने के बाद उसे रास्ते में एक हिरन मिला, उसे पकड़ने के लिए वह उसके पीछे दौड़ा, चुंकी शेर बहुत देर से भूखा था तो वह कुछ दूर भागने के बाद ही थक गया और हिरण को नही पकड़ पाया.

अब जब उसे कुछ भी खाने को नहीं मिला तब वह वापस उस खरगोश को खाने के बारे में सोचने लगा.

फिर वह वापस उसी स्थान में आया तो उसे वहां पर कोई भी खरगोश नहीं मिला. क्योंकि खरगोश वहां से जा चुका था. अब शेर काफ़ी दुखी हुआ और बहुत दिनों तक उसे भूखा ही रहना पड़ा.

कहानी की सीख

इस कहानी से हमें लालच नही करने की सीख मिलती है.


मुर्गा की अकल ठिकाने

(Hindi short stories with moral for kids)

एक समय की बात है, एक गांव में ढेर सारे मुर्गे रहते थे. गांव के बच्चे ने किसी एक मुर्गे को तंग कर दिया था.

मुर्गा परेशान हो गया, उसने सोचा अगले दिन सुबह मैं आवाज नहीं करूंगा. सब सोते रहेंगे तब मेरी अहमियत सबको समझ में आएगी, और मुझे तंग नहीं करेंगे.

मुर्गा अगली सुबह कुछ नहीं बोला.  सभी लोग समय पर उठ कर अपने-अपने काम में लग गए इस पर मुर्गे को समझ में आ गया कि किसी के बिना कोई काम नहीं रुकता. सबका काम चलता रहता है.

कहानी की सीख

अपने कार्य पर कभी भी घमंड नही करना चाहिए. किसी के बिना कोई कार्य नही रुकता.


घमंडी बारहसिंगा

(Moral Stories In Hindi)

एक समय की बात है. एक घने जंगल में एक बारहसिंगा रहता था. वह बड़ा घमंडी था. एक बार वह तालाब में पानी पी रहा था और पानी पीते हुए उसने अपनी परछाई देखी. वो अपने सुन्दर सींगो को देखकर बहुत खुश हुआ, पर अपनी पतली टाँगो को देखकर बहुत दुखी हुआ और वो भगवान को कोसने लगा.

एक बार कुछ शिकारी कुत्ते जंगल में आ गए और वो बारहसिंगा के पीछे पड़ गए. ये देखकर वो घबराकर दूर भाग गया. उसकी पतली टाँगे ही उसकी भागने में सहायता कर रही थी. भागते-भागते अचानक उसके सींग टहनियों के बीच फँस गए.

उसने अपने सींगों को बाहर निकालने की बहुत कोशिश की, पर वह अपने सींगों को बाहर ना निकाल पाया. जिसके बाद उन शिकारी कुत्तों ने उसे घायल कर दिया और वो मरने की हालत में हो गया था. मरते समय वह सोचता रहा, “इन सुंदर सींगों ने मुझे मरवाया है अन्यथा मेरी पतली टाँगे मुझे बचा सकती थी.”

कहानी की सीख

कोई भी चीज अपने गुणों से सुंदर होती है.


सारस और लोमड़ी

(Short Story With Moral In Hindi)

एक जंगल में एक लोमड़ी और सारस रहते थे. दोनों में गहरी मित्रता थी. एक दिन लोमड़ी ने सारस को देखा और वह कहने लगी, “सारस भाई, नमस्ते, कैसे हो?”

सारस बोला लोमड़ी बहन मैं तो अच्छा हूँ तुम अपनी बताओ?

लोमड़ी को शरारत सूझी और वह कहने लगी सारस भाई मैं तुम्हे अपने घर दावत पर बुलाना चाहती हूँ, कल तुम मेरे घर भोजन करने आना.

दूसरे दिन सारस लोमड़ी के घर भोजन करने पहुँचा. दोनों ने एक दूसरे को नमस्ते बोला और फिर मीठी-मीठी बातें करने लगे. कुछ देर बाद लोमड़ी दो परातों में बहुत पतली खिचड़ी बनाकर ले आई और वह सारस से बोली सारस भाई आओ खाना खाएँ.

लोमड़ी तो जल्दी-जल्दी खिचड़ी खाने लगी, लेकिन सारस की लम्बी चोंच में खिचड़ी ना आई. उसे खिचड़ी ना खाते देख लोमड़ी मन ही मन बहुत खुश हुई और झूठी चिंता दिखाते हुए सारस से पूछने लगी कि क्या बात है तुम्हे खाना पसंद नहीं आया?

सारस लोमड़ी की चालाकी समझ गया और थोड़ी देर बात करने के बाद उसने लोमड़ी को बोला कि, कल तुम भी मेरे घर खाने पर जरूर आना लोमड़ी बहन.

लोमड़ी ने कहा हाँ, “मैं जरूर आऊंगी.”

सारस ने मछलियाँ पकाकर दो तंग मुँह की सुराहियों में डाल दी. जब लोमड़ी आई, तो दोनों ने एक-दूसरे को नमस्ते करी और बातें करने लगे. कुछ देर बाद सारस सुराही उठा लाया. वह लोमड़ी को कहने लगा, बहन आओ मिलकर मछलियाँ खाएँ.

इतना बोलकर उसने अपनी चोंच सुराही में डाल दी. वह मज़े से मछलियाँ खाने लगा. लोमड़ी का इतना बड़ा मुँह सुराही के छोटे से मुँह में जा ही नहीं पा रहा था. वह सारस का मुँह देखती रह गई. अब सारस समझ गई कि लोमड़ी ने अपना बदला ले लिया है.

कहानी की सीख

जैसे को तैसा.


प्यासा कौआ

(Story For Kids In Hindi)

गर्मियों के दिनों की बात है. एक कौए को बहुत तेज़ प्यास लगी थी. वह पानी की तलाश में इधर-उधर उड़ने लगा, पर उसे कहीं भी पानी ना मिला.

तेज़ गर्मी के कारण उसकी प्यास और बढ़ती जा रही थी. कौए ने जीने की उम्मीद छोड़ दी थी. लेकिन, उसने हार नहीं मानी, वह पानी की तलाश करने फिर चला गया, अचानक उसे एक पानी से भरा घड़ा दिखाई दिया. वह उस घड़े को देखकर बहुत खुश हो गया और तुरंत उड़कर घड़े के पास गया.

उसने पानी पीने की कोशिश करी पर वो सफल ना हो पाया. क्योंकि, उस घड़े में पानी बहुत थोड़ा था. वह निराश होकर जैसे ही वहाँ से जाने लगा तो उसकी नज़र अचानक कंकर पर पड़ी.

वह एक-एक कंकर अपनी चोंच से उठाकर पानी में डालने लगा. धीरे-धीरे पानी ऊपर आ गया और कौए ने जी भर कर पानी पिया और वहाँ से उड़ गया.

कहानी की सीख

जब हमारे अंदर किसी चीज को पाने की इच्छा होती है और उसे प्राप्त करने के लिए मेहनत करते है. तब हमें वह चीज अवश्य मिल जाती है.

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एक प्यासा कौआ की कहानी को एक छोटी कविता के माध्यम से भी बच्चों को सिखाया जाता है.

एक प्यासा कौआ कविता

एक कौआ प्यासा था
जग में पानी थोड़ा था
कौआ लाया कंकड़
पानी आया ऊपर
कौआ पिया पानी
खत्म हो गई कहानी.

Thirsty Crow Story

सुई देने वाला पेड़ की कहानी

एक जंगल के पास दो भाई रहा करते थे. बड़ा भाई बहुत शरारती था. वह छोटे भाई के साथ बहुत ही खराब व्यवहार करता था. कभी छोटे भाई के हिस्से का सारा खाना खा जाता था. तो कभी छोटे भाई के नए कपड़े खुद पहन लेता था.

एक दिन बड़े भाई ने तय किया की वो पास के जंगल से कुछ लकड़ियाँ लायेगा. जिन्हे बाजार में बेचकर उसे पैसे मिलेंगे.

जैसे ही वह जंगल में गया तो उसने बहुत पेड़ काटे. पेड़ काटते-काटते वह एक जादूई पेड़ से टकरा गया.

उसने पेड़ से लकड़ी काटने के लिए कुल्हाड़ी चलाई. तभी उस पेड़ ने कहा, अरे भाई, कृपया मेरी शाखाओं को मत काटो. अगर तुम इन्हे छोड़ दोगे तो मैं तुम्हे सोने का सेब दुंगा.

बड़ा भाई पेड़ की बात सुनकर सहमत हो गया, मगर उसके मन में लालच आ गया. उसने पेड़ को धमकाया और कहा मुझे ज्यादा सोने के सेब चाहिए नही तो मैं तुम्हे धड़ से काट दुंगा.

बड़े भाई की इन बातों को सुनकर पेड़ ने सेब देने के बजाए उसके ऊपर सुईयों की बौछार कर दी. सुईयाँ उसके शरीर में चुभने लगी और वह दर्द के मारे जमीन पर गिरकर चीखने लगा.

धीरे-धीरे दिन ढल गया तो छोटे भाई को अपने बड़े भाई चिंता हुई. इसलिए वह अपने बड़े भाई की तलाश में जंगल चला गया. कुछ देर ढूँढ़ने के बाद उसे बड़ा भाई जादूई पेड़ के नीचे दर्द में पड़ा हुआ मिला. जिसके शरीर पर सैकड़ों सुई चुभी थी. उसके मन में दया आई, उसने अपने बड़े भाई के शरीर में चुभी सुईयाँ निकाल दी.

ये सभी चीज़ें बड़ा भाई देख रहा था और उसे अपने पर गुस्सा आ रहा था. अब बड़े भाई ने उसके साथ बुरा बर्ताव करने के लिए छोटे भाई से माफी मांगी और दुबारा ऐसा नही करने का वादा किया.

जादूई पेड़ ने बड़े भाई के दिल में आए बदलाव को देखा और उसने खुश होकर दोनों भाईयों को खूब सारे सोने के सेब दे दिए.

कहानी की सीख

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की हमें दयालु और शालीन बनना चाहिए, क्योंकि ऐसे लोगों को हमेशा इनाम मिलता है.


ईमानदार लकड़हारा की कहानी

एक समय की बात है. जंगल के पास एक लकड़हारा रहता था. वह जंगल में लकड़ी इकठ्ठा करता था और कुछ पैसों के लिए उन्हें पास के बाज़ार में बेचता था.

एक दिन वह एक पेड़ काट रहा था, तभी गलती से उसकी कुल्हाड़ी पास बह रही नदी में गिर गई. नदी बहुत ज्यादा गहरी थी और तेजी से बह रही थी.

लकड़हारे ने अपनी कुल्हाड़ी को ढूँढ़ने का बहुत प्रयत्न किया. लेकिन, उसे कुल्हाड़ी नहीं मिली. वह दुखी होकर नदी के किनारे बैठकर रोने लगा.

उसके रोने की आवाज सुनकर नदी के भगवान उठे और उस लकड़हारे से पूछा, “क्या हुआ?”

लकड़हारा ने उन्हें अपनी दुखद कहानी बताई. नदी के भगवान को उस लकड़हारे के ऊपर दया आई और उसकी मेहनत और सच्चाई देखकर उसकी मदद करने की पेशकश की.

वह नदी में गायब हो गए और एक सुनहरी कुल्हाड़ी के साथ प्रकट हुए, लेकिन लकड़हारे ने कहा कि यह उसकी कुल्हाड़ी नहीं है.

वह फिर से गायब हो गए और अब की बार चांदी की कुल्हाड़ी लेकर वापस आये. लेकिन, इस बार भी लकड़हारे ने कहा कि यह कुल्हाड़ी भी उसकी नहीं है.

अब नदी के भगवान पानी में फिर से गायब हो गए और अब की बार वह एक लोहे की कुल्हाड़ी के साथ वापस आए. लकड़ी की कुल्हाड़ी देखकर लकड़हारा मुस्कुराया और कहा कि यह उसकी कुल्हाड़ी है.

नदी के भगवान ने लकड़हारे की ईमानदारी से प्रभावित होकर उसे सोने और चांदी की दोनों कुल्हाड़ियाँ भेंट कर दी.

कहानी की सीख

ईमानदारी सर्वश्रेष्ठ नीति है.


हाथी और उसके दोस्त

बहुत समय पहले की बात है. एक अकेला हाथी घूमते-घूमते एक अजीब जंगल में आ पहुँचा. यह जंगल उसके लिए नया था. यहाँ उसका कोई दोस्त भी नही था. वह अपने दोस्त बनाने के लिए साथी ढूँढ रहा था.

उसने सबसे पहले एक बंदर से संपर्क किया और कहा, “नमस्ते, बंदर भैया! क्या आप मेरे दोस्त बनना चाहेंगे? ”

बंदर ने कहा, “तुम मेरी तरह झूल नहीं सकते हो क्योंकि तुम बहुत बड़े हो, इसलिए मैं तुम्हारा दोस्त नहीं बन सकता.”

इसके बाद हाथी एक खरगोश के पास गया और वही सवाल दोहराया.

खरगोश ने कहा, “तुम मेरे बिल में घुसने के लिए बहुत बड़े हो, इसलिए मैं तुम्हारा दोस्त नहीं बन सकता.”

फिर हाथी तालाब में रहने वाले मेंढक के पास गया और वही सवाल दोहराया.

मेंढ़क ने उसे जवाब दिया, “तुम मेरे जितनी ऊंची कूद के लिए बहुत भारी हो, इसलिए मैं तुम्हारा दोस्त नहीं बन सकता.”

इन तीनों की बात से हाथी सच में उदास था. क्योंकि वह बहुत कोशिशों के बावजूद दोस्त नहीं बना सका.

फिर, एक दिन, सभी जानवर जंगल में इधर-उधर दौड़ रहे थे, ये देखकर हाथी ने दौड़ रहे एक भालू से पूछा कि तुम सभी इधर-उधर क्यों भाग रहे हों?

भालू ने कहा, “जंगल का शेर शिकार पर निकला है. वे खुद को उससे बचाने के लिए भाग रहे हैं.”

भालू कि बात सुनकर हाथी शेर के पास गया और कहा, “कृपया इन निर्दोष लोगों को चोट न पहुंचाओ. कृपया उन्हें अकेला छोड़ दें.”

शेर ने उसका मजाक उड़ाया और हाथी को एक तरफ चले जाने को कहा. तभी हाथी को गुस्सा आ गया और उसने शेर को उसकी सारी ताकत लगाकर धक्का दे दिया, जिससे वह घायल हो गया और वहां से भाग खड़ा हुआ.

अब बाकी सभी जानवर धीरे-धीरे बाहर आ गए और शेर की हार को लेकर आनंदित होने लगे. वे हाथी के पास गए और उससे कहा, “तुम्हारा आकार एकदम सही है हमारा दोस्त बनने के लिए!”

जानवरों की बात सुनकर हाथी मुस्कराया और अपने नए दोस्तों के साथ खेलने लगा.

कहानी की सीख

किसी व्यक्ति का आकार उसकी अहमियत नहीं बताता. कोई भी व्यक्ति या वस्तु कभी भी हमारे काम आ सकती है. इसलिए, किसी का भी निरादर करने से बचे.


आलू, अंडे और कॉफी बीन्स

(Short Stories in Hindi)

एक लड़का था. जिसका नाम जॉन था. वह काफ़ी उदास था. उसके पिताजी को वह रोता हुआ मिला.

जब उसके पिता ने जॉन से पूछा कि वह क्यों रो रहा हैं, तो उसने कहा कि उसके जीवन में बहुत सारी समस्याएं हैं.

उसके पिता बस मुस्कुराए और उसे एक आलू, एक अंडा और कुछ कॉफी बीन्स लाने को कहा. उसने उन्हें तीन अलग-अलग कटोरे में रखा.

फिर उन्होंने जॉन से उनकी बनावट को महसूस करने के लिए कहा और फिर उन्होंने प्रत्येक कटोरी में पानी भर देने का निर्देश दिया. 

जॉन ने वैसा ही किया जैसा उसे करने को कहा गया था. उसके पिता ने फिर तीनों कटोरे उबाले.

एक बार जब कटोरे ठंडे हो गए, तो जॉन के पिता ने उन्हें तीनों पदार्थों की बनावट को फिर से महसूस करने के लिए कहा.

जॉन ने देखा कि आलू नरम हो गया था और उसकी चमड़ी यानि छिलका आसानी से छिल रहा था; अंडा सख्त हो गया था; वहीं कॉफी बीन्स पूरी तरह से बदल गई थी और पानी के कटोरे को सुगंध और स्वाद से भर दिया था.

तब जॉन के पिताजी ने कहा, बेटे हमारे जीवन में समस्याएं हमको मजबूत और भविष्य के लिए तैयार करती है. इसलिए, समस्याओं से डरकर भागने के बजाए उनसे निपटने की कोशिश करनी चाहिए.

जॉन को अपनी समस्याओं का समाधान मिल चुका था.

कहानी की सीख

जीवन में समस्याएं रहेंगी. हमें समस्याओं से पार पाकर ही जीवन को खुशहाल बनाना होगा.


दो मेंढ़क

(Short Animal Stories in Hindi)

एक बार मेंढकों का एक दल पानी की तलाश में जंगल में घूम रहा था. अचानक, समूह से दो मेंढक गलती से एक गहरे गड्ढे में गिर गए.

दल के दूसरे मेंढक गड्ढे में अपने दोस्तों के लिए चिंतित थे. गड्ढा बहुत गहरा था, यह देखकर उन्होंने दो मेंढकों से कहा कि गहरे गड्ढे से बचने का कोई रास्ता नहीं है और कोशिश करने का कोई मतलब नहीं है.

वे लगातार उन्हें हतोत्साहित करते रहे क्योंकि दो मेंढक गड्ढे से बाहर कूदने की कोशिश कर रहे थे. वो दोनों जितनी भी कोशिश करते लेकिन सफल नहीं हो पाते.

जल्द ही, दोनों मेंढकों में से एक ने दूसरे मेंढकों पर विश्वास करना शुरू कर दिया  कि वे कभी भी गड्ढे से नहीं बच पाएंगे और अंततः हार मान लेने के बाद उसकी मृत्यु हो गई.

दूसरा मेंढक अपनी कोशिश जारी रखता है और आखिर में इतनी ऊंची छलांग लगाता है कि वह गड्ढे से बच निकलता है. अन्य मेंढक इस पर चौंक गए और आश्चर्य किया कि उसने यह कैसे किया.

अंतर यह था कि दूसरा मेंढक बहरा था और समूह का हतोत्साह नहीं सुन सकता था. उसने ये सोचा कि वे उसके इस कोशिश पर खुश हो रहे हैं और उसे कूदने के लिए उत्साहित कर रहे हैं!

कहानी की सीख

दूसरों की राय आपको तभी प्रभावित करेगी जब आप उसपर विश्वास करेंगे. इसलिए, बाहरी शक्तियों से खुद को कम से कम प्रभावित होने दें और स्वंय पर विश्वास करें.


मूर्ख गधा

(Short Moral Story in Hindi)

एक नमक बेचने वाला रोज अपने गधे पर नमक की थैली लेकर बाजार जाता था.

रास्ते में उन्हें एक नदी पार करनी पड़ती थी. एक दिन नदी पार करते वक्त, गधा अचानक नदी में गिर गया और नमक की थैलीयाँ भी पानी में गिर गई. पानी में गिरने से नमक से भरा थैला पानी में घुल गया और थैला ले जाने के लिए बहुत हल्का हो गया. 

हल्के वजन को पाकर गधा बहुत ही खुश था. अब फिर गधा रोज वही चाल चलने लगा, इससे नमक बेचने वाले को काफ़ी नुक़सान उठाना पड़ता.

नमक बेचने वाले को गधे की चाल समझ में आ गई और उसने उसे सबक सिखाने का फैसला किया. अगले दिन उसने गधे पर एक रुई से भरा थैला लाद दिया.

अब गधे ने फिर से वही चाल चली. उसे उम्मीद थी कि रुई का थैला अभी भी हल्का हो जाएगा.

लेकिन गिली रुई ले जाने के लिए बहुत भारी हो गई और गधे को बहुत कष्ट उठाना पड़ा. उसने इस हादसे से  एक सबक सीखा. उस दिन के बाद उसने कोई चाल नहीं चली और नमक बेचने वाला खुश था.

कहानी की सीख

भाग्य हमेशा साथ नहीं देता है, इसलिए अपनी बुद्धि का इस्तेमाल कीजिए.


एक बूढ़े व्यक्ति की कहानी

गाँव में एक बुढ़ा व्यक्ति रहता था. वह दुनिया के सबसे बदकिस्मत लोगों में से एक था. सारा गाँव उसके अजीबोग़रीब हरकत से थक गया था.

क्योंकि वह हमेशा उदास रहता था, वह लगातार शिकायत करता था और हमेशा खराब मूड में रहता था.

जितना अधिक वह जी रहा था, उतना ही वह दुखी रहता और उसके शब्द उतने ही जहरीले थे. लोग उससे बचते थे, क्योंकि उसका दुर्भाग्य संक्रामक हो गया था.

उससे जो भी मिलता उसका दिन अशुभ हो जाता. उसके बगल में खुश रहना अस्वाभाविक और अपमानजनक भी था.

इतना ज़्यादा दुखीं होने के वजह से उसने दूसरों में दुख की भावना पैदा कर दी थी.

लेकिन एक दिन, जब वह अस्सी साल के हुए, एक अविश्वसनीय बात हुई. ये बात लोगों में आग की तरह फैल गई.

“वह बूढ़ा आदमी आज खुश था, वह किसी भी चीज़ की शिकायत नहीं कर रहा था, बल्कि पहली बार वह मुस्कुरा रहा था, और यहाँ तक कि उसका चेहरा भी तरोताज़ा दिखाई पड़ रहा था.”

यह देख कर पूरा गांव उसके घर के सामने इकट्ठा हो गया. और सभी ने बूढ़े आदमी से पूछा, “तुम्हें आज क्या हुआ है?”

जवाब में बूढ़ा आदमी बोला, “कुछ खास नहीं! अस्सी साल से मैं खुशी का पीछा कर रहा हूं, और यह बेकार था, मुझे ख़ुशी कभी नहीं मिली. और फिर मैंने खुशी के बिना जीने और जीवन का आनंद लेने का फैंसला किया. इसलिए मैं अब खुश हूं.” 

कहानी की सीख

खुशी का पीछा मत करो, बल्कि जीवन का आनंद लीजिए.


रास्ते में बाधा

बहुत पुराने समय की बात है. एक राजा ने जानबूझकर एक बड़ा सा पत्थर रास्ते के बीचों बीच में रखवा दिया. और राजा वहीं पास की एक बड़ी झाड़ी में छुप गया. वह यह देखना चाहता था कि आख़िर कौन इस पत्थर को रास्ते से हटाता है. 

उस रास्ते से बहुत लोग गुजरे. लेकिन, किसी ने भी उस पत्थर को हटाना ठीक नहीं समझा. यहाँ तक की राजा के दरबार के ही बहुत से मंत्री और धनी व्यापारी भी उस रास्ते से गुजरे, लेकिन, किसी ने भी उसे हटाना ठीक नहीं समझा. उल्टा उन्होंने राजा को ही इस बाधा के लिए ज़िम्मेदार ठहराया.

बहुत से लोगों ने राजा पर सड़कों को साफ न रखने के लिए जोर-जोर से आरोप लगाए, लेकिन उनमें से किसी ने भी पत्थर को रास्ते से हटाने के लिए कुछ नहीं किया.

तभी एक किसान सब्जियों की टोकरी लेकर रास्ते से गुजरा. पत्थर के पास पहुंचने पर किसान ने अपनी टोकरी नीचे रखी और पत्थर को सड़क से बाहर धकेलने का प्रयास किया. काफी मशक्कत के बाद आखिरकार उसे सफलता मिली.

जब किसान अपनी सब्जियां लेने वापस गया, तो उसने देखा कि सड़क पर एक पर्स पड़ा था, जहां पत्थर पड़ा था.

पर्स में कई सोने के सिक्के और राजा का एक नोट था जिसमें बताया गया था कि सोना उस व्यक्ति के लिए था जिसने सड़क से पत्थर को हटाया था.

कहानी की सीख

जीवन में आने वाली हर बाधा हमें नए अवसर देती है. इसलिए, बाधाओं को कोसने के बजाए उनसे निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए.


भूखी लोमड़ी की कहानी

(Short Kahani in Hindi)

एक बार एक जंगल में एक लोमड़ी को बहुत भूख लगी. उसने पूरा जंगल छान मारा. लेकिन, उसे कहीं पर भी खाने को कुछ नहीं मिला. इतनी मेहनत से खोज करने के बाद भी उसे कुछ ऐसा नहीं मिला जिसे वह खा सके.

अंत में, जैसे ही उसके पेट में गड़गड़ाहट हुई, वह एक किसान की दीवार से टकरा गया. दीवार के शीर्ष पर पहुँचकर, उसने अपने सामने बहुत से बड़े, रसीले अंगूरों को देखा. वे सभी अंगूर दिखने में काफ़ी ताज़े और सुंदर थे. लोमड़ी को ऐसा लग रहा था कि वे खाने के लिए तैयार हैं.

अंगूर तक पहुँचने के लिए लोमड़ी को हवा में ऊंची छलांग लगानी पड़ी. कूदते ही उसने अंगूर पकड़ने के लिए अपना मुंह खोला, लेकिन वह चूक गई. लोमड़ी ने फिर कोशिश की लेकिन फिर चूक गई.

उसने कुछ और बार कोशिश की लेकिन असफल रही.

अंत में, लोमड़ी ने फैसला किया कि वह अब और कोशिश नहीं कर सकती है और उसे घर चले जाना चाहिए. जब वह चली गई तो वह मन ही मन बुदबुदाई, “मुझे यकीन है कि अंगूर वैसे भी खट्टे थे.”

कहानी की सीख

हमें प्रयास करने चाहिए और अपनी गलती या असफलताओं को दूसरों के सिर नही मढ़ना चाहिए.

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भूखी लोमड़ी की इस कहानी को एक कविता के माध्यम से भी छोटे बच्चों को बताया जाता है.

एक भूखी लोमड़ी

एक लोमड़ी भूखी थी
बैल अंगूर की ढूँढ़ी थी.
उसने ऊंची कूद लगाई,
अंगूर उसके हाथ न आई,
खट्टा बता फिर लौट आई.

Hungry Fox and Grapes Story in Hindi

अहंकारी गुलाब की कहानी

एक बार की बात है, दूर एक रेगिस्तान में, गुलाब का एक पौधा था. जिसे अपने सुंदर रूप पर बहुत गर्व था. उसकी एकमात्र शिकायत यह थी की, वह एक बदसूरत कैक्टस के बगल में बढ़ रही थी.

हर दिन, सुंदर गुलाब कैक्टस का अपमान करता था और उसके रूप पर उसका मजाक उड़ाता था, जबकि कैक्टस चुप रहता था. आस-पास के अन्य सभी पौधों ने गुलाब को समझाने की कोशिश की, लेकिन वह भी अपने ही रूप से प्रभावित थी.

एक चिलचिलाती गर्मी में रेगिस्तान सूख गया, और पौधों के लिए पानी नहीं बचा. गुलाब जल्दी मुरझाने लगा. उसकी सुंदर पंखुड़ियाँ सूख गईं, उसने अपना रसीला रंग खो दिया.

एक दिन दोपहर में गुलाब ने ये नज़ारा देखा की एक गौरैया कुछ पानी पीने के लिए अपनी चोंच को कैक्टस में डुबा रही थी. यह देखकर गुलाब के मन में कुछ संकोच आया. 

हालांकि शर्म आ रही थी फिर भी, गुलाब ने कैक्टस से पूछा कि क्या उसे कुछ पानी मिल सकता है? इसके जवाब में, दयालु कैक्टस आसानी से सहमत हो गया. गुलाब को अपनी गलती का एहसास हुआ, फिर दोनों ने गर्मी से पार पाने के लिए एक-दूसरे की मदद करी.

कहानी की सीख

किसी को भी उसके रूप से नही आंकना चाहिए. कोई भी कभी भी आपके काम आ सकता है.


कौवे की गिनती

(Akbar Birbal Short Moral Stories in Hindi)

एक दिन की बात है. अकबर महाराज ने अपनी सभा में एक अजीब सा सवाल पूछा, जिससे पूरी सभा के लोग हैरान रह गए. जैसे ही वे सभी उत्तर जानने की कोशिश कर रहे थे, तभी बीरबल अंदर आए और पूछा कि मामला क्या है. 

उन्होंने उससे सवाल दोहराया. सवाल था, “शहर में कितने कौवे हैं?

बीरबल तुरंत मुस्कुराए और अकबर महाराज के पास गए. उन्होंने उत्तर की घोषणा की. उनका जवाब था कि नगर में इक्कीस हजार पांच सौ तेईस कौवे हैं.

यह पूछे जाने पर कि वह उत्तर कैसे जानते हैं, तब बीरबल ने कहा, “अपने आदमियों से कौवे की संख्या गिनने के लिए कहें.

यदि अधिक मिले तो कौवे के रिश्तेदार उनके पास आस-पास के शहरों से आ रहे होंगे. यदि कम हैं, तो हमारे शहर के कौवे शहर से बाहर रहने वाले अपने रिश्तेदारों के पास जरूर गए होंगे.” 

यह जवाब सुनकर, राजा को काफ़ी संतोष मिला. इस उत्तर से प्रसन्न होकर अकबर ने बीरबल को एक माणिक और मोती की जंजीर भेंट की. वहीं उन्होंने बीरबल की बुद्धि की काफ़ी प्रसंशा करी.

कहानी की सीख

उत्तर में सही स्पष्टीकरण यानि दलील होना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना सही उत्तर का होना.


लालची आदमी

(Hindi Short Stories)

एक बार एक छोटे से शहर में एक लालची आदमी रहता था. वह बहुत ही धनी था. इसके वाबजुद भी उसकी लालच का कोई अंत नहीं था. उसे सोना और क़ीमती वस्तुएँ काफ़ी प्रिय थीं. 

लेकिन एक बात ज़रूर थी वह अपनी बेटी को हर चीज से ज्यादा प्यार करता था.

एक दिन उसे एक परी दिखाई दी. जब वह उसके पास आया तो उसने देखा कि पेड़ की कुछ शाखाओं में परी के बाल फंस गए थे. 

उसने उसकी मदद की और परी उन शाखाओं से आज़ाद हो गई. लेकिन उस लालची आदमी पर उसका लालच हावी हुआ, उसने सोचा क्यों ना परी से मदद के बदले में इच्छा मांगी जाए. ताकि वह और अमीर बन सके.

आदमी ने परि से कहा तो परी उसकी बातें सुनकर, उसे एक इच्छा की पूर्ति करने का मौक़ा दिया.

ऐसे में उस लालची आदमी ने कहा, “जो कुछ मैं छूऊं वह सब सोना हो जाए.”

परी ने ऐसा ही किया और उसकी इच्छा पूर्ण कर दी.

जब उसकी इच्छा पूर्ण हो गई. तब वह लालची आदमी अपनी पत्नी और बेटी को अपनी इच्छा के बारे में बताने के लिए घर भागा. उसने हर समय पत्थरों और कंकड़ को छूते हुए और उन्हें सोने में परिवर्तित होते देखा. जिसे देखकर वह बहुत ही खुश भी हुआ.  

घर पहुंचते ही उसकी बेटी उसका अभिवादन करने के लिए दौड़ी. जैसे ही वह उसे अपनी बाहों में लेने के लिए नीचे झुका, वह एक सोने की मूर्ति में बदल गई. ये पूरी घटना अपने सामने देखते ही उसे अपनी गलती का एहसास हुआ.

वह काफ़ी ज़ोर से रोने लगा और अपनी बेटी को वापस लाने की कोशिश करने लगा. उसने परी को खोजने की काफ़ी कोशिश करी. लेकिन, वह उसे कहीं पर भी नहीं मिली. उसे अपनी मूर्खता का एहसास हुआ, लेकिन अब तक काफ़ी देर हो चुकी थी.

कहानी की सीख

जरूरत से ज्यादा लालच पतन का कारण बनता है.


चींटी और कबूतर

(Short Stories in Hindi for Kids)

भीषण गर्मी के दिनों में एक चींटी पानी की तलाश में इधर-उधर घूम रही थी. कुछ देर घूमने के बाद उसने एक नदी देखी और उसे देखकर प्रसन्न हुई. वह पानी पीने के लिए एक छोटी सी चट्टान पर चढ़ गई, लेकिन वह फिसल कर नदी में गिर गई. 

वह जब डूब रही थी. तब उसे एक कबूतर ने देख लिया. वह कबूतर जो की पास के एक पेड़ पर बैठा हुआ था. उसने उसकी मदद की. चींटी को संकट में देखकर कबूतर ने झट से एक पत्ता पानी में गिरा दिया. 

चींटी पत्ती की ओर बढ़ी और उस पर चढ़ गई. फिर कबूतर ने ध्यान से पत्ते को बाहर निकाला और जमीन पर रख दिया. इस तरह चींटी की जान बच गई और वह हमेशा कबूतर की ऋणी रही.

इस घटना के बाद चींटी और कबूतर अच्छे दोस्त बन गए और उनके दिन खुशी से बीते. लेकिन एक दिन जंगल में एक शिकारी आया. उसने पेड़ पर बैठे सुंदर कबूतर को देखा और अपनी बंदूक से कबूतर पर निशाना साधा. 

यह सब वह चींटी देख रही थी. यह देखकर उस चींटी ने शिकारी की एड़ी पर काट लिया, जिससे वह दर्द से चिल्लाया और उसके हाथ से बंदूक गिरा दी. कबूतर शिकारी की आवाज से घबरा गया और उसे एहसास हुआ कि उसके साथ क्या हो सकता है. वह अपनी जान बचाने के लिए वहाँ से उड़ गया!

जब वह शिकारी वहाँ से चला गया. तब कबूतर वहाँ उस चींटी के पास आया और उसकी जान बचाने के लिए उसे धनयवाद दिया. इस तरह दोनों दोस्त विपत्ति के समय में एक दूसरे के काम आए. 

कहानी की सीख

विपत्ती में एक-दूसरे की सहायता करनी चाहिए. मदद कभी बेकार नही जाती.


चींटी और हाथी की कहानी

बहुत समय पहले की बात है. एक जंगल में एक बार एक घमंडी हाथी था, जो हमेशा छोटे जानवरों को धमकाता था और उनका जीवन कष्टदायक बनाता था.इसलिए सभी छोटे जानवर उससे परेशान थे.

एक बार की बात है. वह अपने घर के पास के बनी चींटी की मांद के पास गया और चींटियों पर पानी छिड़क दिया.

ऐसा होने पर सभी चींटियाँ अपने आकार को लेकर रोने लगीं. क्योंकि वह हाथी इनकी तुलना में काफ़ी बड़ा था. इसलिए वह कुछ नहीं कर सकती थीं.

हाथी बस हँसा और चींटियों को धमकी दी कि वह उन्हें कुचल कर मार डालेगा.

ऐसे में चींटियाँ वहाँ से चुपचाप चली गयी. फिर एक दिन, चींटियों ने एक सभा बुलाई और उन्होंने हाथी को सबक सिखाने का फैसला किया. अपनी योजना के मुताबिक़ जब हाथी उनके पास आए तब वे सीधे हाथी की सूंड में जा घुसे और उसे काटने लगे.

अगले दिन फिर हाथी चींटियों की मांद के पास आया और पानी छिड़कने के लिए जैसे ही उसने शूंड़ नीचे किया चींटियां तुरंत अपनी योजना के अनुसार उसके शूंड में घुस गई. और उसे काटने लगी.

अब हाथी केवल दर्द में कराह सकता था. क्योंकि चींटियाँ इतनी छोटी थी कि उनका यह हाथी कुछ नहीं कर सकता था. साथ में उसके शूँड के अंदर होने के वजह से वह चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता था.

हाथी को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने चींटियों और उन सभी जानवरों से माफी मांगी जिन्हें उसने धमकाया था.

उसकी ये पीड़ा देखकर चींटियों को भी दया आई और सारी चिंटियाँ शूंड़ से बाहर निकल आई.

कहानी की सीख

अपनी ताकत से कमजोरों को सताना नही चाहिए, बल्कि उनकी मदद करनी चाहिए. अन्यथा किसी दिन ताकतवर को भी सबक जरूर मिलता है.


लालची कुत्ता

(Very Short Story in Hindi)

एक बार एक कुत्ते को बड़ी जोर से भूख लगी थी. वह खाने की तलाश में इधर-उधर घूम रहा था.

खाने की तलाश में घूम रहे कुत्ते को एक बड़ी रसीली हड्डी मिली. तो उसने तुरंत उसे अपने मुंह के बीच में पकड़ लिया और घर की तरफ आने लगा.

घर जाते समय उसे रास्ते में एक नदी पार करनी थी. वह कुत्ता जैसे ही नदी के किनारे पहुँचा तो उसकी परछाई उसे पानी में दिखाई देनी लगी.

कुत्ते ने समझा यहाँ तो कोई दूसरा कुत्ता है जिसके मुँह में एक और हड्डी है. क्यों ना इस हड्डी को भी छीन लिया जाए.

कुत्ते ने ज्यों ही दूसरे कुत्ते (उसकी परछाई वाला कुत्ता‌) को काटने के लिएअपना मुंह खोला, उसके मुँह वाली हड्डी झट नदी में गिर गई और डूब गई. हड्डी गिरने से पानी धूंधला हो गया और कुत्ते की परछाई भी मिट गई. कुत्ते को सारा माजरा समझ आ गया. वह निराश होकर अपने घर लौट आया और रातभर भूखा ही सोया.

कहानी की सीख

लालच के कारण हमारे पास मौजूद चीजे भी चली जाती है. इसलिए, संतुष्ट रहना सीखिए.


गड़रिया लड़का और भेड़िया

(Short Story for Kids in Hindi)

बहुत पुराने समय पहले की बात है. एक गाँव में एक लड़का रहता था. वह रोजाना गांव के पास वाली छोटी पहाड़ी पर अपनी भेड़ चराता था.

रोजाना एक ही काम कर-करके वह ऊब चुका था. इसलिए, अपना मनोरंजन करने के लिए उसे मजाक सूजी. वह पहाड़ी में जोर से चिल्लाया, “भेड़िया! भेड़िया! भेड़िया भेड़ों का पीछा कर रहा है!”

जब गाँव वालों ने उसकी चीख सुनी, तो वे भेड़िये को भगाने के लिए पहाड़ी पर दौड़ते हुए आए. लेकिन, जब वे पहुंचे, तो उन्होंने कोई भेड़िया नहीं देखा. उनके गुस्से वाले चेहरों को देखकर लड़का खुश हो गया. उसे यह देखकर मज़ा आया.

सभी गाँव वालों ने उस लड़के को चेतावनी दी की “भेड़िया! भेड़िया! मत चिल्लाओ, “जब कोई भेड़िया नहीं है!”

ऐसा कहकर वे सभी गुस्से में वापस पहाड़ी से चले गए.

अपने मनोरंजन के लिए अगले दिन एक बार फिर से गड़रिया लड़का चिल्लाया, “भेड़िया! भेड़िया! भेड़िया भेड़ों का पीछा कर रहा है!”

उसकी आवाज सुनकर गांव वाले फिर से पहाड़ी पर दौड़कर आने लगे. लड़ने ने देखा कि ग्रामीण भेड़िये को डराने के लिए पहाड़ी पर दौड़ रहे हैं. यह देख उसे फिर से आनंद आया.

जब उन्होंने देखा कि कोई भेड़िया नहीं है, तो उन्होंने सख्ती से उस लड़के को कहा, की जब कोई भेड़िया नहीं है तब उसे उन्हें नहीं बुलाना चाहिए. केवल भेड़िया के आने पर ही उन्हें उसे पुकारना चाहिए. जब वो गाँव वाले पहाड़ी के नीचे जा रहे थे, तब वो लड़का मन ही मन मुस्कुराया.

कुछ दिन बाद, लड़के ने एक असली भेड़िये को अपने झुंड के तरफ़ आते देखा. घबराए हुए, वह अपने पैरों पर कूद गया और जितना जोर से चिल्ला सकता था, चिल्लाया, “भेड़िया! भेड़िया!” लेकिन गाँव वालों ने अब की बार सोचा कि वह उन्हें फिर से बेवकूफ बना रहा है, और इसलिए वे मदद के लिए नहीं आए.

सूर्यास्त के समय, ग्रामीण उस लड़के की तलाश में गए जो अपनी भेड़ों के साथ नहीं लौटा था. जब वे पहाड़ी पर गए, तो उन्हे वह लड़का अपनी मृत भेड़ों के पास रोता हुआ मिला.

गांव वालों को देखकर लड़का बोला, “यहाँ वास्तव में एक भेड़िया था! मैं चिल्लाया, ‘भेड़िया!’ ‘भेड़िया!’ लेकिन तुम नहीं आए, उसने रोते हुए कहा.

लड़के की बातों को सुनकर अब एक बूढ़ा आदमी लड़के को सांत्वना देने गया. और उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा, “झूठे पर कोई विश्वास नहीं करता, भले ही वह सच कह रहा हो! तुम्हारी छोटी सी मजाक ने कई भेड़ों को मरवा दिया.”

गड़रिया को अपनी गलती का ऐहसास हो चुका था. फिर उसने कभी गांव वालों को तंग नही किया.

कहानी की सीख

कभी भी भद्दी मजाक नही करें. और मदद के लिए झूठ ना बोले. इससे आपको ही नुकसान होगा. फिर भविष्य में कोई आपकी मदद नही करेगा.


दूधवाली और उसके सपने

(New Short Stories in Hindi)

एक समय की बात है. एक गाँव में रेवती नाम की एक दूधवाली रहती थी. वह अपने गायों का दूध को बेचकर पैसे कमाती थी. इन्ही पैसों से उसका घर चलता था.

एक दिन उसने अपनी गायों का दूध निकाला और दूध की दो बाल्टी लेकर बाजार में दूध बेचने निकल पड़ी.

जैसे ही वह बाजार जा रही थी. वह दिवास्वप्न देखने लगी कि दूध के लिए उसे जो पैसा मिला है, उसका वह क्या-क्या करेगी.

वह मन ही मन कई चीजें सोचने लगी. उसने मुर्गी खरीदने और उसके अंडे बेचने की सोची. फिर उस पैसे से वो एक केक, स्ट्रॉबेरी की एक टोकरी, एक फैंसी ड्रेस और यहां तक ​​कि एक नया घर खरीदने का सपना देखने लगी. इस प्रकार से उसने कम समय में अमीर बनने की योजना बनाई. 

अपने उत्साह में, वह अपने साथ ले जा रही दोनों बाल्टी के बारे में भूल गई और उन्हें छोड़ना शुरू कर दिया.

अचानक, उसने महसूस किया कि दूध नीचे गिर रहा है और जब उसने अपनी बाल्टी की जाँच की, तो वे खाली थे. ये देखकर वो रोने लगी और उसे उसकी भूल का पछतावा हुआ.

कहानी की सीख

सिर्फ सपने देखने से नही बल्कि उन्हे पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत भी करनी पड़ती है. इसलिए, पहले वर्तमान को मजबूत करना चाहिए. इसके बाद भविष्य की योजनाओं पर काम करना चाहिए.


सुनहरे हंस की कहानी

बहुत पुराने दिनों की बात है. एक झील में एक हंस रहता था. वह हंस विशेष था. उसके सुंदर सुनहरे पंख थे.

वहीं झील के पास एक बूढ़ी औरत अपनी बेटियों के साथ रहती थी. 

बहुत ज़्यादा मेहनत करने के बाद भी वे गरीब ही रहे. एक दिन, हंस ने सोचा, “क्यों ना मैं इस बुढ़ी औरत के परिवार को एक सुनहरा पंख दे दूँ जिसे बेचकर ये अपना जीवन यापन कर पाएं.”

हंस ने ऐसा ही किया और अगले दिन बुढ़िया के पास जा पहुँचा.

उसे देखकर बूढ़ी औरत ने कहा, “मेरे पास तुम्हें देने के लिए कुछ नहीं है!”

ऐसा कहने पर हंस ने कहा, “लेकिन, मेरे पास तुम्हारे लिए कुछ है!” और बुढ़ी औरत को पुरी योजना समझाई. 

बुढ़ी औरत को हंस की योजना पसंद आई और उन्होने उस पर आगे बढ़ने का विचार किया.

अगले दिन बुढ़िया और उसकी बेटियाँ सोने का पंख बेचने के लिए बाजार गई और उस दिन, वे हाथ में पर्याप्त धन लेकर खुश होकर वापस आए.

हंस दिन-ब-दिन बुढ़िया और उसकी बेटियों की मदद करता रहता.

बेटियाँ हंस के साथ खेलना पसंद करती थीं और बरसात और ठंड के दिनों में उसकी देखभाल करती थीं!

जैसे-जैसे समय बीतता गया, बूढ़ी औरत और लालची होती गई! उसने अपनी बेटियों से कहा, “एक पंख से कुछ नही होता, हमें अधिक पंख चाहिए. इसलिए कल जब हंस आए तो उसके सारे पंख तोड़ लेना.”

इस बात को सुनने पर, उन्होंने इस योजना में मदद करने से इनकार कर दिया.

अगले दिन बुढ़िया ने हंस के आने का इंतजार किया. जैसे ही पक्षी आया, उसने अगले हिस्से को पकड़ लिया और पंखों को तोड़ना शुरू कर दिया. 

जैसे ही उसने उन्हें तोड़ा, पंख सफेद हो गए. बुढ़िया रो पड़ी और हंस को जाने दिया.

इसपर हंस ने कहा, “तुम लालची हो गई हो! तुमने मेरी इच्छा के बिना इन्हे तोड़ना चाहा इसलिए, ये पंख सफेद हो गए!”

इतना कहकर हंस गुस्से में वहाँ से उड़ गया फिर कभी नहीं दिखायी पड़ा!

कहानी की सीख

अत्यधिक लोभ से बहुत हानी होती है. हमें हमें कुदरती रूप से जो मिलता है उसमें संतुष्ट रहना सीखना चाहिए और मेहनत से अधिक संसाधन जुटाने के लिए प्रयास करने चाहिए.


सर्कस के हाथी की कहानी

बहुत पुरानी बात है. एक बहुत ही बड़ा सर्कस हुआ करता था. इस सर्कस में बहुत से जानवर कई प्रकार के करतब किया करते थे. 

इसी सर्कस में एक हाथियों का झुंड भी हुआ करता था, जो कई सारे करतब से लोगों का मनोरंजन करते थे.

एक बार उस सर्कस में पांच हाथियों ने सर्कस के करतब किए.

करतब ख़त्म हो जाने के बाद उन्हें कमजोर रस्सी से बांधकर रखा जाता था, जिससे वे आसानी से बच सकते थे, लेकिन उन्होने कभी भी खुद को छुड़ाने का प्रयास नही किया. 

एक दिन सर्कस में जाने वाले एक व्यक्ति ने रिंगमास्टर से पूछा, “इन हाथियों ने रस्सी तोड़ा क्यों नही?

इस सवाल पर रिंगमास्टर ने उत्तर दिया, “जब वे छोटे थे, तब इन हाथियों को पतली-पतली रस्सी से बंधा जाता था, लेकिन वे छोटे होने के कारण कोशिश करने पर भी उस रस्सी से छूट नहीं पाते थे.

धीरे-धीरे उनकी कोशिश कम होती गयी और उन्होंने मन में ये मान लिया की वे इन रस्सियों को छुड़ाकर नहीं भाग सकते हैं. वहीं हाथियों को यह विश्वास दिलाया गया था कि वे रस्सियों को तोड़ने और भागने के लिए पर्याप्त मजबूत नहीं हैं.” 

इसलिए जब वे बड़े हो जाते हैं तब उन्हें उसी रस्सी से भी आसानी से बांध दिया जाता है. उन लोगों की इसी विश्वास की वजह से उन्होंने अब रस्सियों को तोड़ने की कोशिश तक नहीं की. लेकिन देखा जाए तो वे एक ही पल में इन सभी रस्सियों को आसानी से तोड़ सकते हैं, लेकिन वे ऐसा करते नहीं है.

कहानी की सीख

हमें मर्यादाओं को तोड़कर खुद को आजाद करना चाहिए और कहीं गई और मानी गई बातों पर विश्वास नही करना चाहिए बल्कि हर समय उन्हे परखते रहना चाहिए.


सैतान बिल्ली और चूहा

(Short Hindi Story with Picture)

बहुत समय पहले की बात है, एक सैतान बिल्ली बहुत से चूहों को हमेशा परेशान किया करती थी.

ऐसे में सभी चूहों ने इस परेशानी का हल खोजने का सोचा. तो एक बार सभी चूहे अपने सबसे बड़े मुद्दे पर चर्चा करने के लिए इकट्ठे हुए!

यह सैतान बिल्ली जो चूहों का पीछा कर रही है और उन्हें पकड़ कर खा रही है! “यह अराजकता है!” एक चूहे ने गुस्से से कहा.

“हमें एक समाधान खोजने की जरूरत है जो की हमें बिल्ली के आने की चेतावनी दे सके!” दूसरे ने कहा.

ऐसे में एक चिंतित चूहे ने कहा, “क्या हम थोड़ी जल्दी समस्या के समाधान ढूँढ़ सकते हैं, अन्यथा बिल्ली हमें यहाँ पर भी देख सकती है”.

इस बात पर, एक बूढ़े चूहे ने अपना पंजा उठाया और कहा, “चलो एक त्वरित समाधान खोजें!”

चूहों ने जल्द ही विचारों पर चर्चा करना शुरू कर दिया. बहुत से चूहों ने अपने अलग-अलग मत प्रदान किए. एक ने कहा “हमें चेतावनी देने के लिए हमारे पास एक प्रहरीदुर्ग होगा!”

वहीं दूसरे ने कहा, “बिल्ली द्वारा खाए जाने से बचने के लिए हम सभी को समूहों में जाना चाहिए!”

तभी उन्ही के बीच में एक और चूहे ने सुझाव दिया की, “मेरे पास एक विचार है”, “चलो बिल्ली के गले में घंटी बांधते हैं!

तो जब बिल्ली आसपास टहलती है तब उसके गले में लगी घंटी भी आवाज करेगी, जिससे हमें उसके पास मौजूद होने की चेतावनी मिल ज़ाया करेगी !”

इस सुझाव से सभी चूहे सहमत हो गए.

यह सबसे अच्छा विचार था! ऐसे सभी चूहों ने एक सुर में कहा.

“ठीक है! तो, बिल्ली को घंटी बांधेगा कौन?” बूढ़े चूहे ने पूछा.

यह पूछते ही वहाँ सन्नाटा छा गया!

जल्द ही, एक-एक करके सभी चूहे चुपचाप भाग गए. अंत में केवल बूढ़ा चूहा ही रह गया.

कहानी की सीख

सिर्फ बातों से काम नही बनता; उसके लिए काम भी करना पड़ता है. इसलिए सोच-विचार करके ही अपनी बात कहनी चाहिए.


तीन मछलियाँ

(Short Stories in Hindi)

एक छोटी नदी में तीन मछलियाँ रहती थी. प्रत्येक मछली एक अलग रंग की थी. लाल, नीली और पीली. फिर भी ये तीनों मछलियाँ एक-दूसरे के साथ मिलझूल कर रहती थी. 

एक दिन, नीली मछली किनारे के पास तैर रही थी और उसने मछुआरों की बातें सुनीं. “एक मछुआरा  दूसरे से कह रहा था की, इस नदी में मछली पकड़ने का समय आ गया है. नदी की मछलियाँ यहाँ बहुत भोजन के लिए तैरती होंगी! चलो कल मछली पकड़ने चलते हैं!”

चिंतित नीली मछली अपने अन्य दो दोस्तों के पास जल्दी से तैर कर गई. उनके पास पहुँचकर उसने उन्हें कहा, “सुनो सुनो! मैंने अभी-अभी मछुआरों को बात करते हुए सुना है. वे कल इस नदी में मछली पकड़ने की योजना बना रहे हैं. हमें कल नदी में की सुरक्षित रूप से तैरना चाहिए!” 

इस बात पर लाल मछली ने कहा, “ओह, यह सब तो ठीक है! वे मुझे पकड़ नहीं पाएंगे क्योंकि मैं उनके लिए बहुत तेज हूं.इसके अलावा, हमारे पास वह सब खाना है जो हमें यहाँ चाहिए!” 

लाल मछली की बात सुनकर, नीली मछली ने कहा, “लेकिन, हमें सिर्फ एक दिन के लिए यहाँ से कहीं सुरक्षित जगह पर चले जाना चाहिए!” 

अब नीली मछली की बातें सुनकर, पीली मछली ने कहा, “मैं नीली मछली से सहमत हूं. माना की यह हमारा घर है, लेकिन हमें ज़रूर सुरक्षित रहने की जरूरत है!” 

इन दोनों मछलियों ने, अपने दोस्तों को समझाने की कोशिश की लेकिन किसी ने भी उनकी बातों पर भरोसा नहीं किया.

जैसे ही अगली सुबह हुई, मछुआरों ने अपना जाल डाला और जितनी हो सके उतनी मछलियाँ पकड़ लीं. इनमें से कुछ हरे थे, कुछ नारंगी थे, कुछ सफेद थे, कुछ बहुरंगी थे और उनमें से एक लाल मछली भी थी! 

इस बात पर मछुआरों ने आपस में बात की, “बेहतरिन पकड!” बहुत दिनों बाद इतनी मछलियाँ पकड़ में आई हैं.

दूर से इस घटना को दोनों दोस्त पीली मछली और नीली मछली देख रहे थे, उन्हें इस बात पर काफ़ी दुःख भी था कि उनके दोस्त “लाल मछली” को भी मछुआरों ने अपने जाल में पकड़ लिया था.

कहानी की सीख

हमें अपने दोस्तों की सही सलाह पर अम्ल करना चाहिए और अपने घमंड में नही रहना चाहिए.


हाथी और कुत्ता

(Hindi Short Story)

एक दिन की बात है, राजा का शाही हाथी घास के टीले के पास चर रहा था, तभी उसे एक भूखी आवाज़ सुनाई दी.

ये आवाज़ असल में एक कुत्ता था जो महावत की थाली से बचा हुआ खाना खा रहा था. वहाँ पर हाथी का रखवाला मौजूद नहीं था. चूंकि शाही हाथी हर दिन अकेले ही उस टीले पर चरता था, इसलिए उसे कुत्ते के खाने या झपकी लेने से कोई फर्क नहीं पड़ा.

जल्द ही, वे दोनों अच्छे दोस्त बन गए और खेलने लगे. इस बात पर, महावत को भी किसी बात की ऐतराज नहीं थी. एक दिन पास से गुजर रहे एक किसान ने कुत्ते को देखा और महावत से पूछा कि क्या वह कुत्ते को ले जा सकता है. 

चूँकि वह कुत्ता महावत का नहीं था, इसलिए महावत ने तुरंत हामी भर दी और कुत्ते को उस किसान को  दे दिया. अब अपने दोस्त को ना पाकर, जल्द ही, शाही हाथी ने खाना, पानी पीना या हिलना-डुलना भी बंद कर दिया. यह अपने टीले से बाहर नहीं निकला.

ऐसे ही एक दिन राजा अपने हाथी से मिलने आया और उसने देखा की उसका शाही हाथी, बिलकुल बीमार मालूम पड़ रहा है, न वह खाता है न ही कुछ करता है. बस चुपचाप से एक जगह पर पड़ा रहता है. 

ऐसा देखकर, राजा ने अपने हाथी की जाँच करने के लिए शाही चिकित्सक को बुलाया.

शाही डॉक्टर ने हाथी की जांच की और कहा, “महाराज, शाही हाथी शारीरिक रूप से ठीक है, लेकिन ऐसा लगता है जैसे उसने एक दोस्त खो दिया है!” 

राजा ने तुरंत महावत को बुलवाया और उससे पहले के घटनाओं के बारे में सवाल पूछे.

इस सवाल पर, महावत ने उत्तर दिया, की “ओह, एक कुत्ता था जो यहाँ हुआ करता था. मैंने उसे एक किसान को दे दिया!” 

राजा ने तुरंत अपने एक रक्षक को महावत के साथ कुत्ते को वापस लाने के लिए भेजा. जैसे ही कुत्ते को टीले में लाया गया, हाथी अपने नन्हे दोस्त को देखने बैठ गया और खुशी से उछल पड़ा. उस दिन से हाथी और कुत्ता और भी ज़्यादा घने मित्र बन गए. उन दोनों की दोस्ती भी ज़्यादा गहरी हो गयी.

कहानी की सीख

हमें अपने दोस्तों की फिक्र करनी चाहिए और बिना शर्त दोस्ती सदैव ही बनी रहती है.


गौरैया, चूहा और एक शिकारी की कहानी

बहुत पुरानी बात है, एक बार एक जंगल में गौरैयों का झुण्ड भोजन की तलाश में उड़ रहा था. तभी उनकी नजर पास के एक अनाज से भरे खेत पर पड़ी.

जल्द ही, वे सभी गौरैयों ने खाने के लिए नीचे उड़ान भरी और फिर पेट भरकर भोजन किया. जैसे ही वे सभी उड़ने के लिए ऊपर उठे, उन्होंने महसूस किया कि यह एक जाल था. उनके पैर एक शिकारी द्वारा बिछाए गए जाल में फंस गए थे.

जब वे अपने आप को छुड़ाने के लिए संघर्ष कर रहे थे, उन्होंने देखा कि वह शिकारी धीरे-धीरे उनकी ओर चला आ रहा था.

गौरैयों के नेता ने कहा, “रुको, संघर्ष मत करो! बस मेरी बात सुनो. चलो एक साथ उड़ते हैं और मैं हमें अपने दोस्त, चूहे के पास ले जाऊँगा. वह हमें इस जाल से ज़रूर आज़ाद करवा देगा.”

जैसे ही शिकारी चिल्लाया, गौरैयां एक साथ जाल को लेकर आकाश में उड़ गईं.

वे जंगल की ओर उड़ गए जहाँ एक छोटा चूहा रहता था.

अब गौरैयों के नेता ने कहा, “उस पेड़ की तरफ़ उड़ो, वहाँ पर मेरा एक नन्हा दोस्त रहता है”.

पेड़ के पास पहुँचकर, सभी गौरैयों ने एक साथ पुकारा, “छोटा चूहा, छोटा चूहा, कृपया हमारी मदद करें!”

छोटा चूहा तुरंत जाल को चबाने लगा और जल्द ही सभी गौरैयों को आजाद भी कर दिया.

ऐसा करने पर, गौरैयों के नेता ने अपने चूहे दोस्त को कहा, “धन्यवाद प्रिय मित्र!

मने आज हम सभी को बचाया. इसलिए में सभी गौरैयों के तरफ़ से तुम्हारा शुक्रगुज़ार हूँ. अन्य गौरैयों ने भी नन्हे चूहे को धनयवाद कहा.

और सभी गौरैयां वापस अपने घर की ओर उड़ आए.

कहानी की सीख

हमें हमेशा कठिनाई का सामना करना चाहिए और निराश नही होना चाहिए. एकता में शक्ति होती है.


टोपी बेचने वाला और बन्दर की कहानी

बहुत समय पहले की बात है. पास के एक गाँव में एक टोपी बेचने वाला रहता था. वह पास के गाँव में जाकर टोपी बेचता था. एक बार की बात है, पास के गाँव में कुछ दिन टोपी बेचने के बाद, टोपी बेचने वाला अपने गाँव वापस जा रहा था.

वह अपने साथ बहुत सारी टोपियां ले जा रहा था. खड़े रहने और कम सोने की वजह से वह काफ़ी थक गया था. उसने सोचा की क्यूँ ना थोड़ी देर किसी पेड़ के नीचे आराम कर लूँ.

उसे सोने के लिए एक बड़ा पेड़ मिला. उसने उस पेड़ को देखकर सोचा की क्यूँ ना इस पेड़ के नीचे थोड़ा आराम किया जाए. मन ही मन उसने सोचा, “ओह, मैं अभी थोड़ी देर सोऊंगा और गाँव पहुँचने के लिए तेज़ी से चलूँगा!”

जल्द ही, टोपी बेचने वाला गहरी नींद में सो गया. घंटों इस तरह से सोने के बाद, वह चौंक कर उठा. वह उठा और देखा कि एक को छोड़कर उसकी सभी टोपियां गायब हैं. “मेरी टोपी! मेरी टोपी! उन्हें कौन ले जा सकता था?” वह जोर से चिल्लाया.

तभी उसे पेड़ के ऊपर से किसी के चटकारे लेने की आवाज सुनाई दी! “आह, वे बंदर!” वह रोया. उसे अब लगा की वह शायद ही इन टोपियों को उन बंदरों से वापस ला पाए.

अब वह मन ही मन उन टोपियों को वापस लाने की योजना बनाने लगा. उसने सोचा और उसे एक विचार आया!

उसने जमीन से टोपी उठाई और पहन ली. उसे देख रहे बंदरों ने भी टोपियां पहन लीं! उसने अपनी टोपी उतार कर जमीन पर पटक दी. उसकी इस हरकत को देखकर सब बन्दरों ने भी अपने सर से टोपी हटा दी और टोपियाँ भी नीचे फेंक दीं ! टोपीवाले ने झट से सारी टोपियाँ उठा लीं और तेजी से अपने गाँव की ओर चल दिया.

इस तरह टोपीवाले ने चालाकी से अपनी टोपियाँ वापस प्राप्त कर ली.

कहानी की सीख

अपने कार्यों को बुद्धिमानी से चुने ताकि आप बुरे समय से भी आसानी से बाहर आ पाएं.


चींटियाँ और टिड्डे की कहानी

बहुत समय पहले एक जंगल में चींटियाँ और एक टिड्डा रहा करते थे. एक बार की बात है, जैसे ही पतझड़ का मौसम समाप्त होने वाला था, चींटियों का एक परिवार भोजन, लाठी और सूखे पत्ते इकट्ठा करने में व्यस्त था.

टिड्डा दूर से देख रहा था की चींटियाँ अपने काम में बहुत ही व्यस्त नज़र आ रही थी. वहीं वह पास में धूप सेक रहा था. उसके मन में एक विचार आया और वह टिड्डा वहाँ चला गया और उसने चींटियों से पूछा, “इतने अच्छे दिन भी तुम क्या कर रही हो!”

इसपर एक चींटी ने जवाब दिया, “हम ठंड के लिए तैयार हो रहे हैं. आपको भी कुछ खाना स्टोर करना चाहिए!”

चींटी की बात सुनकर, टिड्डा हँसा और वहाँ से चला गया.

वह सूरज और तितलियों के पीछे भागने लगा. जैसे-जैसे चींटियाँ चरती रहीं, वैसे-वैसे दिन बीतते गए, जबकि टिड्डे ने सुस्ती में ऐसे ही दिन बिताए!

एक सुबह, टिड्डा एक ठंडी सुबह के लिए उठा और जमीन बर्फ से ढकी हुई थी. कीट भोजन की तलाश में उछल पड़ा और उसे कुछ नहीं मिला. उसे भूखे पेट ही अपना दिन गुज़ारना पड़ा. अब उसे अपने गलती का ऐहसास हुआ, और वह सोचने लगा की चींटियाँ सही थीं!

कहानी की सीख

समय किसी का इंतजार नही करता है. हमें मौकों का फायदा उठाना चाहिए और आज ही आने वाले कल की तैयारी करनी चाहिए.


हाथी और चूहा

(Short Stories in Hindi with Moral)

बहुत समय पहले की बात है. एक बहुत ही पुराना भूकंप प्रभावित गाँव था. जहां पर कोई भी इंसान नहीं रहा करते थे. वहीं इन मनुष्यों द्वारा छोड़े गए इस भूकंप प्रभावित गाँव में चूहों की एक बस्ती ने अपना डेरा डाल लिया था. 

गाँव के पास ही एक सरोवर था, जिसका उपयोग हाथियों के झुण्ड द्वारा किया जाता था. हाथियों को झील तक जाने के लिए गांव पार करना पड़ता था.ये इन लोगों का दैनिक कार्य हुआ करता था. 

एक दिन की बात है, जब वह हाथी का झुंड वहाँ से गुजर रहा था, तब उन्होंने अनजाने में ढेर सारे चूहों को रौंद डाला. इस बात पर चूहों के बीच में ख़लबली मच गयी.

चूहों के नेता ने हाथियों से मुलाकात की और उनसे झील के लिए एक अलग रास्ता लेने का अनुरोध किया. साथ में उसने उनसे वादा भी किया कि उनकी ज़रूरत के समय उनका पक्ष वापस किया जाएगा. 

इस बात पर उस समय हाथी हँसे. उन्होंने आपस में बात करी की, इतने छोटे चूहे इन बड़े हाथियों की किसी भी तरह से मदद कैसे कर सकते थे? लेकिन फिर भी, उन्होंने अपना वादा निभाया और वे एक अलग रास्ता अपनाने पर सहमत हुए. 

ऐसे कुछ दिन बीत गए, अब एक नयी घटना सामने आयी. कुछ ही समय बाद चूहों ने सुना कि शिकारियों ने हाथियों के झुंड को पकड़ लिया है और उन्हें जाल में बांध दिया गया है. 

ऐसा सुनते हैं वे तुरंत हाथियों को बचाने के लिए दौड़ पड़े. उन्होंने अपने तीखे दांतों से जालों और रस्सियों को कुतर डाला. हाथियों के नेता ने बार-बार चूहों को उनकी मदद के लिए धन्यवाद दिया! अब उन्हें समझ आ चुका था की किसी के आक़ार पर हंसना नहीं चाहिए. कुदरत ने सभी प्राणियों को किसी न किसी कला से नवाज़ा है.

कहानी की सीख

मुसीबत में काम आने वाले मित्र ही असल मित्र होते हैं. इसलिए, आप भी अपने दोस्तों की आवश्यकता पड़ने पर जरूर मदद करें.


तीन छोटे सूअर की कहानी

किसी जंगल में तीन छोटे सूअर रहते थे. उनकी माँ अब इस दुनिया में नहीं रही थी. वो तीनों एक-दूसरे के साथ एक छोटी सी जगह में रहा करते थे. 

जब वो थोड़े बड़े हुए तो उनकी रहने की जगह छोटी पड़ने लगी. अब तीनों छोटे सूअरों में से प्रत्येक ने अपना घर बनाने का फैसला किया. 

पहले सुअर ने बिलकुल भी मेहनत नहीं की और पुआल का घर बना लिया. वहीं दूसरे सुअर ने थोड़ी सी मेहनत की और लकड़ियों का इस्तेमाल कर अपने लिए घर बना लिया. 

तीसरे सुअर ने थोड़ा सोचा और फिर बहुत मेहनत करने के बाद उसने अपने लिए सफलतापूर्वक एक ईंट-पत्थर का घर बनाया. 

अब वो तीनों अपने-अपने घरों में आराम से रह रहे थे. कुछ समय बीता और एक दिन, तीन छोटे सूअरों के घरों पर एक बड़ा बुरा भेड़िया ने हमला कर दिया.

उसके हमले से पहले दो छोटे सूअरों के घर (जो पुआल और लाठियों से बने थे) वह जल्द ही उखड़ गए और टूटकर फैल गए. और भेड़िया दोनों ही सूअरों को खा गया.  

थोड़ी देर बाद वह फिर गुर्राने लगा , लेकिन तीसरे छोटे सुअर के घर को नहीं उखाड़ सका, जो अपने घर में आराम से बैठा था. उसने घर को तोड़ने की बहुत कोशिश करी लेकिन, वह अपनी कोशिश में सफल नहीं हुआ. क्योंकि तीसरे सुअर का घर बहुत ही मज़बूत था. जो काफ़ी मेहनत के बाद बना था.

जल्द ही, बड़ा बुरा भेड़िया ने गहरी सांस ली और वह वहाँ से भाग गया.

कहानी की सीख

कड़ी मेहनत हमेशा रंग लाती है. क्षणिक समाधान के बजाए भविष्य का सोचे और आलस ना करें.


बंदर और मगरमच्छ की कहानी

एक बहुत बड़ा जंगल था. उस जंगल के पास से एक नदी बहा करती थी. उस नदी के किनारे एक जामुन के पेड़ पर एक बन्दर रहता था. 

वह रोजाना स्वादिष्ट जामुन खाता था. एक बार उसने पेड़ के नीचे एक मगरमच्छ को आराम करते देखा जो थका हुआ और भूखा लग रहा था. उसने सोचा की शायद ये मगरमच्छ भी भूखा हो. इसलिए, उसने मगरमच्छ को कुछ जामुन खाने को दिए. 

जामुन के लिए मगरमच्छ ने बंदर को धन्यवाद दिया. जल्द ही वे सबसे अच्छे दोस्त बन गए और एक-दूसरे के साथ ज़्यादा समय बिताने लगे. अब बन्दर मगरमच्छ को रोज जामुन देता था. दोनों आनंद से जामुन खाया करते थे. 

एक दिन बंदर ने मगरमच्छ को उसकी पत्नी के लिए अतिरिक्त जामुन दिए. जिसे वो अपने घर ले जाए और दोनों साथ में कुछ जामुन भी खाएँ. लेकिन बंदर को मगरमच्छ के पत्नी के स्वभाव के बारे में थोड़ी भी जानकारी नहीं थी. असल में मगरमच्छ की पत्नी एक दुष्ट मगरमच्छ थी. 

जब उसने बंदर द्वारा लाए गए जामुन खाए तो उसकी बुद्धि में ग़लत योजनाएँ पनपने लगी. फिर उसने अपने पति से कहा कि अगर ये जामुन इतने ज़्यादा मीठे हैं तब इस जामुन को हर दिन खाने वाला बंदर का दिल कितना ज़्यादा मीठा होगा. वह बंदर का दिल खाना चाहती है क्योंकि वह भी इस जामुन के तरह ही काफ़ी ज़्यादा मीठा होगा! 

मगरमच्छ पहले तो परेशान हुआ लेकिन फिर उसने अपनी पत्नी की इच्छा के आगे झुकने का फैसला किया. अब दोनों पति-पत्नी ने उस बंदर को मार कर खाने की योजना बना डाली.

अगले दिन मगरमच्छ अपने दोस्त के पास चला गया. उसने बंदर को बताया कि उसकी पत्नी ने बंदर को खाने पर घर बुलाया है क्यूँकी वह बंदर द्वारा दिए गए जामुन से काफ़ी ज़्यादा खुश हुई है. 

अब मगरमच्छ और बंदर दोनों मगरमच्छ के घर की तरफ़ तैर कर जाने लगे. इसके लिए मगरमच्छ ने बंदर को नदी के पार अपने घर तक ले जाने के लिए उसे अपनी पीठ पर लाद लिया. अब वो दोनों कुछ ही दूर गए थे की, उसने बंदर को अपनी पत्नी की दिल खाने की योजना के बारे में बताया.

इसे सुनकर बंदर को बड़ा डर लगा और उसने अपने दिमाग़ का इस्तेमाल करना शुरू किया. बंदर ने होशियार होकर मगरमच्छ से कहा कि वह अपना दिल जामुन के पेड़ पर छोड़ आया है. आपकी पत्नी उसके दिल को खाना चाहती है. इसलिए उसे फिर से उस पेड़ पर जाकर अपने दिल को लाना होगा. 

बंदर की यह बात सुनकर मगरमच्छ प्रसन्न हुआ (मूर्खतापूर्वक) और मगरमच्छ बंदर के घर की ओर मुड़ गया. पेड़ के पास पहुंचते ही बंदर जामुन के पेड़ पर चढ़ गया.

फिर उसने पेड़ के ऊपर से ही मगरमच्छ को कहा “क्या कोई दिल पेड़ पर रखता है? दिल के बिना कोई भी जीवित नहीं रह सकता. तुमने अपनी पत्नी के बहकावे में आक़ार मेरे भरोसे को तोड़ा है. अब हम फिर कभी दोस्त नहीं बन सकते!”

अपने दोस्त को खोने के बाद दुखी मगरमच्छ अपनी दुष्ट पत्नी के पास वापस चला गया.

कहानी की सीख

हमे दोस्त सावधानीपूर्वक चुनने चाहिए और बिना परखे बहकावे में नही आना चाहिए. मुसीबत के समय धैर्य और बुद्धि से काम लें. अपने दोस्तों को धोखा ना दें.


मूर्ख चोर की कहानी

एक बार, एक अमीर व्यापारी बीरबल से मदद मांगने के लिए राजा अकबर के दरबार में आया.

उस व्यापारी के कुछ सामान की चोरी हो गयी थी. अब उस व्यापारी को ये शक था कि उसके किसी नौकर ने उसे लूट लिया है. चूँकि उसके बहुत से नौकर थे इसलिए वह असली चोर को पकड़ नहीं पा रहा था.

जब उसने अपनी इस परेशानी के बारे में राजा अकबर को बताया तो महाराज अकबर ने अपने सबसे चतुर मंत्री बीरबल को इस परेशानी का हल खोजने का दायित्व दिया.

यह सुनकर बीरबल ने एक चतुर योजना के बारे में सोचा और व्यापारी के नौकरों को बुलाया.

महामंत्री बीरबर ने प्रत्येक सेवक को समान लम्बाई की एक छड़ी दी. और फिर उन सभी को कहा कि अगले दिन तक चोर की छड़ी दो इंच बढ़ जाएगी. ऐसा सिर्फ़ उसके साथ होगा जिसने व्यापारी का सामान चुराया है. 

अगले दिन बीरबल ने सभी नौकरों को सम्राट के दरबार में फिर से बुलाया. उसने देखा कि एक नौकर की छड़ी दूसरों की तुलना में दो इंच छोटी थी.

अब बीरबल को असली चोर के बारे में मालूम पड़ गया था. वह जानते थे कि चोर कौन है.

मूर्ख चोर ने अपनी छड़ी को दो इंच छोटा कर दिया था क्योंकि उसे लगा कि यह सच में दो इंच बढ़ जाएगी. इस प्रकार बीरबल ने बहुत ही चतुराई से असली चोर को पकड़ लिया.

महाराज ने अपने मंत्री को शाबाशी दी और व्यापारी चोर पकड़े जाने से बहुत खुश हुआ. उसने महाराज को शुक्रिया कहा और अपने घर वापस आ गया.

कहानी की सीख

सत्य और न्याय की हमेशा जीत होती है.


तीन गुडियां

बहुत समय पहले की बात है. उस समय राजा कृष्णदेवराय जी का राज हुआ करता था. एक दिन, राजा कृष्णदेवराय के दरबार में दूर देश के एक व्यापारी ने विजयनगर के दरबारियों की परीक्षा ली.

उसने दरबार में आक़ार राजा से कहा, “मैंने आपके दरबार की महिमा के बारे में सुना है. मेरे पास आपके दरबार के लिए एक परीक्षा है!”

राजा ने व्यापारी को अपनी बात जारी रखने की अनुमति दी. अब वह व्यापारी अपनी बात रखने लगा.

उसने कहा “यहाँ तीन गुड़िया हैं जो मैंने बनाई हैं. देखने में ये सभी एक जैसी लगती हैं. लेकिन, ये सभी एक-दूसरे से अलग हैं. आपको मुझे ये बताना है की कैसे ये तीनों गुड़ियां एक-दूसरे से अलग हैं. मैं आपके उत्तर के लिए तीस दिनों में वापस आऊंगा!”

राजा ने अपने सभी मंत्रियों को बुलाया और उनसे गुड़ियों में अंतर पता करने को कहा. दिन बीतते गए और किसी के पास कोई जवाब नहीं था. कृष्णदेवराय ने अंतर खोजने के लिए अपने भरोसेमंद विकटकवि को बुलाया. यहां तक ​​कि तेनाली रामा भी इस सवाल से अचंभित हो गया.

उसने गुड़ियाओं को अपने साथ घर ले जाने के लिए राजा की अनुमति ली. उन्होंने निरीक्षण करना और पता लगाना जारी रखा कि अंतर क्या हो सकते हैं. उसने वह सब कुछ करने की कोशिश की जो वह कर सकता था. लेकिन जल्द ही व्यापारी के आने का दिन आ गया.

जब सब राजा के दरबार में बैठ गए, तब तेनाली रामा बोला, “मैंने गुड़ियों के बीच अंतर खोज लिया है. गुड़ियाओं में से एक अच्छी है, दूसरी औसत दर्जे की है, और तीसरी खराब है!”

सभी दरबारी हैरान हो उठे. यह कैसे हो सकता है?

“आप यह निश्चित रूप से कैसे जानते हैं! हमें दिखाओ?” राजा ने पूछा.

तेनाली रामा ने प्रत्येक गुड़िया के कान में एक छोटा सा छेद दिखाया और फिर उसने उनके प्रत्येक कान के माध्यम से एक पतली तार डाली.

पहली गुड़िया के लिए तार कान से होते हुए मुंह से निकल गया. दूसरी गुड़िया के लिए तार पहले कान में गया और दूसरे कान से निकल गया. तीसरी गुड़िया के लिए तार कान से होते हुए बाहर दिखाई दिया, लेकिन वह दिल में जा चुका था.

पहली गुड़िया खराब है क्योंकि यह उन लोगों का प्रतिनिधित्व करती है जो रहस्य नहीं रख सकते.

दूसरी गुड़िया औसत दर्जे की है क्योंकि यह उन लोगों का प्रतिनिधित्व करती है जो सीधे और सरल हैं और समझ नहीं सकते कि उन्हें क्या कहा जाता है.

तीसरी गुड़िया अच्छी है और यह उन लोगों का प्रतिनिधित्व करती है जो राज़ रख सकते हैं!” तेनाली रामा ने समझाया. सभी प्रभावित हुए.

कहानी की सीख

तलाशने और सीखने की उत्सुकता ही हमारे अनुभवों और विचारों का विस्तार करने का एकमात्र तरीका है.


एक गधा से बहस

बहुत समय पहले की बात है. एक बार एक जंगल में एक गधा और एक बाघ के बीच में बहस हो गई.

गधा ने बाघ से कहा, “घास नीली है.“

बाघ ने जवाब दिया, “नहीं, घास हरी है.”

चर्चा गर्म हो गई और दोनों ने उसे मध्यस्थता में जाम करने का फैसला किया और इसके लिए वे जंगल के राजा शेर के सामने गए. वनराज के समाधान तक पहुँचने से पहले ही, जहाँ शेर अपने सिंहासन पर बैठा था, गधा चिल्लाने लगा:

“महामहिम, क्या यह सच है कि घास नीली है?”.

शेर ने जवाब दिया, “सच है, घास नीली है.”

गधा ने हड़बड़ी की और बोला, “बाघ मुझसे असहमत है और मेरा खंडन करता है और मुझे परेशान करता है, कृपया उसे दंडित करें.”

राजा ने तब घोषणा की, “बाघ को 5 साल की चुप्पी की सजा दी जाएगी.”

गधा ख़ुशी से झूम उठा और अपने रास्ते चला गया. वह संतुष्टी में दोहराता रहा, “द ग्रास इज़ ब्लू (घास नीली है)…”

बाघ ने अपनी सजा स्वीकार कर ली, लेकिन इससे पहले कि वह शेर से पूछता कि महाराज, आपने मुझे दंड क्यों दिया है? आखिर घास तो हरी है.

शेर ने जवाब दिया, “दरअसल घास हरी है.”

तब बाघ ने पूछा, “तो आप मुझे फिर सजा क्यों दे रहे हो महाराज?”

शेर ने जवाब दिया, “घास के नीले या हरे होने के सवाल से इसका कोई लेना-देना नहीं है. सजा इसलिए है कि तुम जैसे बहादुर और बुद्धिमान प्राणी के लिए यह संभव नहीं है कि वह गधा से बहस करके समय बर्बाद करे और ऊपर से आकर मुझे उस सवाल से परेशान कर दे.”

मूर्ख और कट्टर के साथ बहस करना समय की सबसे खराब बर्बादी है. जो सच्चाई या वास्तविकता की परवाह नहीं करता, बल्कि केवल अपने विश्वासों और भ्रमों की जीत की परवाह करता है. उन तर्कों पर समय बर्बाद न करें जिनका कोई मतलब नहीं है.

ऐसे भी लोग होते हैं, जो कितने भी सबूत उनके सामने पेश कर दें, समझने की क्षमता में नहीं होते, और दूसरे लोग अहंकार, घृणा और आक्रोश से अंधे हो जाते हैं, और वे जो नहीं चाहते हैं, वह सही होना ही चाहते हैं.

बाघ ने शेर की बातों को चुपचाप सुना और सिर झुकाकर अपने घर कि ओर मुड़ गया.

कहानी की सीख

जब अज्ञान चिल्लाता है तो बुद्धि चुप हो जाती है. आपकी शांति बेशकीमती है.


बहादुर छोटा चूहा की कहानी

बहुत समय पहले की बात है. एक छोटे से गाँव में जैरी नाम का एक छोटा चूहा रहता था. जैरी भले ही दिखने में छोटा था, लेकिन उसका दिल बड़ा था और वह काफ़ी ज़्यादा बहादुर भी था. अपने आकार के बावजूद, वह हमेशा एक साहसिक कार्य पर जाने और अन्य जानवरों को साबित करने का सपना देखा करता था.

एक दिन, एक खूंखार बिल्ली गाँव में आ गई, जिससे सभी जानवर डर के मारे रहने लगे. वे इतने ज़्यादा डरे हुए थे की वे अपना घर छोड़कर खाना इकट्ठा करने से भी डरने लगे. ऐसे में गाँव तेजी से संसाधनों से बाहर हो रहा था. जैरी ये भली भाँति जानता था कि उसे अपने दोस्तों और घर को बचाने के लिए कुछ करना होगा.

वह अब बिल्ली को मात देने की योजना के साथ आया और अपने साहसिक कार्य पर खुद निकल पड़ा.

उसने एक चमकदार घंटी ढूंढी और उसे अपनी पूंछ से बांध लिया. वह तब बिल्ली के घर में घुस गया जब वह सो रही थी और जोर से घंटी बजाई. बिल्ली चौंक कर उठी और उस शोर का पीछा किया, और गाँव से बाहर चली गई. जैरी की इस बहादुरी से अब गांव अन्य जानवरों के लिए सुरक्षित हो चुका था.

अन्य जानवर जैरी की बहादुरी से चकित थे और उन्होंने अपने घर को बचाने के लिए उसे धन्यवाद दिया. तब से, जैरी को गांव में सबसे बहादुर चूहे के रूप में जाना जाने लगा.

कहानी की सीख

छोटे से छोटा प्राणी भी बड़ा बदलाव ला सकता है यदि उसके पास साहस और दृढ़ संकल्प हो.


खोई हुई चाबी की कहानी

एक बार की बात है, मुन्नी नाम की एक छोटी लड़की थी जो अपने परिवार के साथ एक छोटे से घर में रहती थी.

मुन्नी को अपने घर के पीछे जंगल में घूमना और खेलना बहुत पसंद था. वह अक्सर घूमने जाती और सुंदर पत्थर और पत्ते इकट्ठा करती. लेकिन, एक चीज थी जो उसे सबसे ज्यादा पसंद थी. और वह थी उसका खजाना का बॉक्स जहां वह अपना सारा खजाना रखती थी. बॉक्स में एक छोटी सी सुनहरी चाबी थी जो उसे खोलती थी.

एक दिन, खोजबीन के दौरान, मुन्नी को ये एहसास हुआ कि उसने अपनी चाबी खो दी है. उसने हर जगह ढूंढा, लेकिन कहीं पता नहीं चला. वह बहुत दुखी थी, और उसने सोचा कि वह फिर कभी अपना खजाना बॉक्स नहीं खोल पाएगी. इसलिए उसका मन बहुत ही दुःख हुआ.

निराश होकर उसने घर वापस जाने का फैसला किया. जब वो रास्ते में जा रही थी. तब रास्ते में उसकी मुलाकात एक बूढ़े उल्लू से हुई जिसने उससे पूछा कि क्या हुआ? वह इतनी ज़्यादा उदास क्यूँ है? 

मुन्नी ने उसे अपनी कहानी सुनाई और बताया कि कैसे उसने अपनी चाबी खो दी है. उल्लू ने ध्यान से सुना और फिर कहा, “चिंता मत करो मुन्नी, मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं.”

उल्लू मुन्नी के साथ जंगल में एक छोटे तालाब की ओर उड़ गया. उसने उसे ध्यान से पानी में देखने को कहा, और वहाँ उसने देखा कि उसकी चाबी तालाब के तल पर चमक रही है. उत्साहित होकर, वह अंदर पहुंची और अपनी चाबी वापस ले ली.

मुन्नी अब बहुत खुश हुई और उसने उल्लू को उसकी मदद के लिए धन्यवाद दिया. वह अपने खजाने के डिब्बे की ओर भाग गई, और अपनी नई मिली चाबी के साथ उसने बॉक्स खोला और अपने सभी खजाने को देखकर मुस्कुराई. 

उस दिन से, मुन्नी कभी भी अपनी चाबी के बिना खोजबीन करने नहीं गई, और उसे हमेशा उस बुद्धिमान बूढ़े उल्लू की याद आई जिसने उसकी मदद की थी.

कहानी की सीख

सब्र से अगर किसी कार्य को किया जाए तो उस कार्य में जरूर सफलता मिलती है.


किसान और कुआँ

(Short Moral Story in Hindi)

बहुत समय पहले की बात है. एक गाँव में एक किसान रहता था. वह बहुत मेहनत से अपने लिए अनाज उगाया करता था और उसे बेचकर अपना गुज़ारा किया करता था.

एक बार वो अपने खेत के लिए पानी के स्रोत की तलाश कर रहा था, तभी उसे अपने पड़ोसी का कुआं दिखाई दिया. उसने उस पड़ोसी से वो कुआं ख़रीद लिया. 

लेकिन वो पड़ोसी बहुत ही चालाक व्यक्ति था. इसलिए अगले दिन जब किसान अपने कुएँ से पानी भरने आया तो पड़ोसी ने उसे पानी लेने से मना कर दिया.

जब किसान ने इसका कारण पूछा, तो पड़ोसी ने उत्तर दिया, “मैंने तुम्हें कुआँ बेचा था, पानी नहीं.” और वहां से चला गया.

पड़ोसी का जवाब सुनकर किसान व्याकुल हुआ और न्याय मांगने के लिए राजा के पास गया. उसने अपनी पूरी बात राजा के सामने रखी. 

राजा ने अपने नौ में से एक सबसे बुद्धिमान मंत्री “बीरबल” को बुलाया. अब बीरबल ने पड़ोसी से प्रश्न किया, “तुम किसान को कुएँ से पानी लेने क्यों नहीं देते? आख़िर तुमने किसान को कुआँ बेच दिया है?”

इस सवाल पर पड़ोसी ने जवाब दिया, “बीरबल जी, मैंने किसान को कुआँ तो बेचा था, लेकिन उसमें जो पानी है वो नहीं. उसे कुएँ से पानी निकालने का कोई अधिकार नहीं है.” अब बीरबल ने कुछ समय लिया इस परिस्तिथि का हल खोजने के लिए. 

फिर कुछ समय सोचने के बाद बीरबल ने कहा, “देखो, चूंकि तुमने कुँआ बेच दिया है, इसलिए तुम्हें किसान के कुएँ में पानी रखने का कोई अधिकार नहीं है. या तो आप किसान को किराया दें, या फिर कुएँ से पूरा पानी तुरंत हटा लें. यह महसूस करते हुए कि उसकी योजना विफल हो गई, पड़ोसी ने माफी मांगी और घर चला गया.

अब उस किसान को उसके हक़ का कुआँ प्राप्त हो गया और उसने न्याय करने के लिए बीरबल जी का धन्यवाद दिया.

कहानी की सीख

किसी को धोखा नही देना चाहिए. और धोखेबाजी का नतीजा जरूर भुगतना पड़ता है.


शेर का आसन

( Hindi short stories with moral for kids )

जंगल में एक शेर रहता था. वह बहु बलशाली था. इसलिए, जंगल के सभी जानवर शेर राजा से डरकर रहते थे.

एक दिन शहर का राजा उस जंगल में घूमने गया. शेर ने देखा राजा हाथी पर आसन लगा कर बैठा है.

शेर के मन में भी हाथी पर आसन लगाकर बैठने का उपाय सुझा. शेर ने जंगल के सभी जानवरों को बुलाया और आदेश दिया कि हाथी पर एक आसन लगाया जाए.

बस क्या था झट से आसन लग गया. शेर उछलकर हाथी पर लगे आसन मैं जा बैठा. हाथी जैसे ही आगे की ओर चलता है, आसन हिल जाता है और शेर नीचे धड़ाम से गिर जाता है. शेर की टांग टूट गई.

शेर लंगड़ी टांग पर खड़ा होकर बोला– ‘पैदल चलना ही ठीक रहता है.

कहानी की सीख

जिसका काम उसी को साजे. हमें नकल करने से बचना चाहिए और अपनी अक्ल से कार्य करना चाहिए.


6. मुन्ना के तीन खरगोश

( Hindi short stories with moral for kids )

मुन्ना के पास तीन छोटे प्यारे-प्यारे खरगोश थे. मुन्ना अपने खरगोश को बहुत प्यार करता था. वह स्कूल जाने से पहले पार्क से हरे-भरे कोमल घास लाकर अपने खरगोश को खिलाता था. और फिर स्कूल जाता था. स्कूल से आकर भी उसके लिए घास लाता था.

एक  दिन की बात है मुन्ना को स्कूल के लिए देरी हो रही थी. वह घास नहीं ला सका, और स्कूल चला गया. जब स्कूल से आया तो खरगोश अपने घर में नहीं था. मुन्ना ने खूब ढूंढा परंतु कहीं नहीं मिला. सब लोगों से पूछा मगर खरगोश कहीं भी नहीं मिला.

मुन्ना उदास हो गया. रो-रोकर आंखें लाल हो गई. मुन्ना अब पार्क में बैठ कर रोने लगा. कुछ देर बाद वह देखता है कि उसके तीनों खरगोश घास खा रहे थे, और खेल रहे थे.

मुन्ना को खुशी हुई और वह समझ गया कि इन को भूख लगी थी. इसलिए यह पार्क में आए हैं. मुझे भूख लगती है तो मैं मां से खाना मांग लेता हूं. पर इनकी तो मां भी नहीं है. उसे दुख भी हुआ और खरगोश को मिलने की खुशी हुई.

कहानी की सीख

जो दूसरों के दर्द समझता है और दुख छू भी नही पाता.


दोस्त का महत्व

(Hindi short stories with moral for kids)

गोलू गर्मी की छुट्टी में अपनी नानी के घर जाता है. वहां गोलू को खूब मजा आता है, क्योंकि नानी के आम का बगीचा है. वहां गोलू ढेर सारे आम खाता है और खेलता है. उसके पांच दोस्त भी हैं, पर उन्हें गोलू आम नहीं खिलाता है.

एक  दिन की बात है, गोलू को खेलते-खेलते चोट लग गई. गोलू के दोस्तों ने उसे उठाकर घर पहुंचाया और उसकी मम्मी से उसके चोट लगने की बात बताई. चोट पर गोलू को दवा लगाई और उसकी मालिश की गई.

मम्मी ने उन दोस्तों को धन्यवाद किया और उन्हें ढेर सारे आम खिलाएं. गोलू जब ठीक हुआ तो उसे दोस्त का महत्व समझ में आ गया था. अब वह उनके साथ खेलता और खूब आम खाता था.

कहानी की सीख

दोस्त सुख-दुख के साथी होते हैं. उनसे प्यार करना चाहिए और कोई बात नही छिपानी चाहिए.


मां की ममता

Short Hindi stories with moral

आम के पेड़ पर एक चिड़िया रहती थी. उसने खूब सुंदर घोंसला बनाया हुआ था. जिसमें उसके छोटे-छोटे बच्चे साथ में रहते थे. वह बच्चे अभी उड़ना नहीं जानते थे, इसलिए चिड़िया उन सभी को खाना ला कर खिलाती थी.

एक दिन जब बरसात तेज हो रही थी. तभी चिड़िया के बच्चों को जोर से भूख लगने लगी. बच्चे खूब जोर से रोने लगे, इतना जोर से की देखते-देखते सभी बच्चे रो रहे थे. चिड़िया से अपने बच्चों का रोना अच्छा नहीं लग रहा था. वह उन्हें चुप करा रही थी, किंतु बच्चे भूख से तड़प रहे थे. इसलिए वह चुप नहीं हो रहे थे.

चिड़िया सोच में पड़ गई, इतनी तेज बारिश में खाना कहां से लाएं. मगर खाना नहीं आया तो बच्चों का भूख कैसे शांत होगा. काफी देर सोचने के बाद चिड़िया ने एक लंबी उड़ान भरी और किसान के घर पहुंच गई.

किसान के कुछ चावल और फल आंगन में ही रह गए थे. चिड़िया ने देखा और बच्चों के लिए अपने मुंह में ढेर सारा चावल रख लिया. और झटपट वहां से उड़ आई.

घोसले में पहुंचकर चिड़िया ने सभी बच्चों को चावल का दाना खिलाया. बच्चों का पेट भर गया, वह सब चुप हो गए और आपस में खेलने लगे.

कहानी की सीख

इस दुनिया में मां की ममता का कोई सानी नहीं है. अपनी जान विपत्ती में डालकर भी वह अपने बच्चों की भलाई में कार्य करती है.


बलवान कछुए की मूर्खता

एक सरोवर में एक कछुआ रहा करता था. उसके पास एक मजबूत कवच था. यह कवच शत्रुओं से बचाता था. कितनी बार उसकी जान कवच के कारण बची थी.

एक बार भैंस तालाब पर पानी पीने आई थी. भैंस का पैर कछूए पर पड़ गया था. फिर भी कछूए को कुछ नही हुआ. उसकी जान कवच से बची थी. उसे काफी खुशी हुई. क्योंकि बार-बार उसकी जान बच रही थी.

यह कवच कछूए को कुछ दिनों में भारी लगने लगा. उसने सोचा इस कवच से बाहर निकल कर जिंदगी को जीना चाहिए. अब मैं बलवान हो गया हूं, मुझे कवच की जरूरत नहीं है.

कछूए ने अगले ही दिन कवच को शरीर से उतार दिया और तालाब में छोड़कर आसपास घूमने लगा.

अचानक हिरण का झुंड तालाब में पानी पीने आया. ढेर सारी हिरनिया अपने बच्चों के साथ पानी पीने आई थी.

उन हिरणियों के पैरों से कछूए को चोट लगी, वह रोने लगा.

आज उसने अपना कवच नहीं पहना था. जिसके कारण काफी चोट जोर से लग रही थी.

कछूआ रोता-रोता वापस तालाब में गया और कवच को पहन लिया. इसके बाद कछूए ने फिर कभी कवच को नही उतारा.

कहानी की सीख

प्रकृति से मिली हुई चीज को सम्मान पूर्वक स्वीकार करना चाहिए. वरना जान खतरे में पड़ सकती है.


सच्ची मित्रता

अजनार के जंगल में दो बलशाली शेर शूरसिंह और सिंहराज रहते थे. शूरसिंह अब बूढ़ा हो चला था. अब वह अधिक शिकार नहीं कर पाता था.

सिंहराज उसके लिए शिकार करता और भोजन ला कर देता.

सिंहराज जब शिकार पर निकलता, शूरसिंह अकेला हो जाता.

डर के मारे कोई पशु उसके पास नहीं जाते थे .

आज शूरसिंह को अकेला देख सियार का झुंड टूट पड़ा. आज सियार को बड़ा शिकार मिला था.

चारों तरफ से सियारों ने शूरसिंह को नोच-नोच कर जख्मी कर दिया था.

वह बेहोश की हालत में हो गया.

अचानक सिंहराज वहां दहाड़ता हुआ आ गया.

सिंहराज को वहां आता देख, सियारों के प्राण सूख गए.

सिंह राज ने देखते ही देखते सभी सियारों को खदेड़ दिया. जिसके कारण उसके मित्र शूरसिंह की जान बच सकी.

कहानी की सीख

सच्ची मित्रता सदैव काम आती है.


बिच्छू और संत

बरसात का दिन था. एक बिच्छू नाले में तेजी से बेहता जा रहा था. संत ने बिच्छू को नाली में बहता देख. अपने हाथ से पकड़कर बाहर निकाल लिया.

बिच्छू ने अपने स्वभाव के कारण संत को डंक मार दिया और डंक मारने के चक्कर में संत के हाथ से छूटकर बिच्छू फिर से नाले में गिर गया.

संत ने बिच्छू को फिर अपने हाथ से निकाला. लेकिन, बिच्छू ने संत को फिर डंक मारा.

ऐसा दो-तीन बार और हुआ.

पास ही वैद्यराज का घर था. वह संत को देख रहे थे. वैद्यराज दौड़ते हुए आए. उन्होंने बिच्छू को एक डंडे के सहारे दूर फेंक दिया.

संत से कहा – आप जानते हैं बिच्छू का स्वभाव नुकसान पहुंचाने का होता है.

फिर भी आपने उसको अपने हाथ से बचाया. आप ऐसा क्यों कर रहे थे ?

संत ने कहा वह अपना स्वभाव नहीं बदल सकता तो, मैं अपना स्वभाव कैसे बदल लूं!

संत की बात को सुनकर वैद्यराज झुके और संत को प्रणाम किया.

कहानी की सीख

विषम परिस्थियों में भी अपने स्वभाव को नही बदलन चाहिए.


साहस का परिचय

जंगल में सुंदर-सुंदर हिरण रहा करते थे. उसमें एक सुरीली नाम की हिरनी थी. उसकी बेटी मृगनैनी अभी पांच महीने की थी. मृगनैनी अपनी मां के साथ जंगल में घूमा करती थी.

एक दिन मृगनैनी अपने मां के साथ घूम रही थी, तभी दो गीदड़ आ गए.

वह मृगनैनी को मार कर खाना चाहते थे.

सुरीली दोनों गीदड़ को अपने सींगों से मार-मार कर रोक रही थी.

मगर गीदड़ मानने को तैयार नहीं थे.

वहां अचानक ढेर सारे हिरनी का झुंड आ गया.

हिरनी गीदड़ के पीछे दौड़ने लगी. गीदड़ अपने प्राण लेकर वहां से रफूचक्कर हो गया.

सुरीली और मृगनैनी की जान आज उसके परिवार ने बचा ली थी.

कहानी की सीख

एक साथ मिलकर रहने से बड़ी से बड़ी चुनौती दूर हो जाती है.


अपनी गलती का पछतावा

एक किसान के पास पांच भैंस और एक गाय थी. वह सभी भैंसों की दिनभर देखभाल किया करता था. उनके लिए दूर-दूर से हरी–हरी घास काटकर लाया करता और उनको खिलाता. गाय-भैंस किसान की सेवा से खुश थी.

सुबह–शाम इतना दूध हो जाता कि किसान का परिवार उस दूध को बेचने पर विवश हो जाता.

पूरे गांव में किसान के घर से दूध बिकने लगा.

अब किसान को काम करने में और भी मजा आ रहा था, क्योंकि इससे उसकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही थी.

कुछ दिनों से किसान परेशान होने लगा, क्योंकि उसके रसोईघर में एक बड़ी सी बिल्ली ने आंखें जमा ली थी. किसान जब भी दूध को रसोई घर में रखकर निश्चिंत होता. बिल्ली दूध पी जाती और उन्हें जूठा भी कर जाती. किसान ने कई बार उस बिल्ली को भगाया और मारने के लिए दौड़ाया, किंतु बिल्ली झटपट दीवार चढ़ जाती और भाग जाती.

एक  दिन किसान ने परेशान होकर बिल्ली को सबक सिखाने की सोची .

जूट की बोरी का जाल बिछाया गया, जिसमें बिल्ली आसानी से फंस गई.

अब क्या था किसान ने पहले डंडे से उसकी पिटाई करने की सोची.

बिल्ली इतना जोर–जोर से झपट रही थी कि किसान उसके नजदीक नहीं जा सका.

किंतु आज तो सबक सिखाना था, किसान ने एक माचिस की तीली जलाई और उस बोरे पर फेंक दिया.

देखते ही देखते बोरा धू-धू कर जलने लगा, बिल्ली अब पूरी शक्ति लगाकर भागने लगी.

बिल्ली जिधर जिधर भागती , वह आग लगा बोरा उसके पीछे पीछे होता.

देखते ही देखते बिल्ली पूरा गांव दौड़ गई.

पूरे गांव से आग लगी… आग लगी, बुझाओ… बुझाओ…

इस प्रकार की आवाज उठने लगी. बिल्ली ने पूरा गांव जला दिया.

किसान का घर भी नहीं बच पाया था.

अपने घर को जलता देख किसान सर पकड़कर बैठ गया और अपनी गलती का पछतावा करने लगा. लेकिन, अब बहुत देर हो चुकी थी.

कहानी की सीख

आवेग और स्वयं की गलती का फल खुद को तो भोगना पड़ता ही है, साथ में दूसरे लोग भी उसकी सजा भुगतते हैं.


सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की कहानी

(Short Stories In Hindi For Kids)

एक गाँव में एक मुर्गी पालन करने वाला अपनी पत्नी के साथ रहता था. वह हर रोज बाजार में जाकर मुर्गी खरीदता और घर आकर उनकी देखभाल करता.

हर दिन की तरह वो बाजार से एक मुर्गी खरीद कर लाया. वो सबकी तरह उसे भी बहुत प्यार से पालने लगा और धीरे-धीरे वह मुर्गी तंदुरुस्त हो गई.

कुछ महीने बाद उस मुर्गी ने अंडा दिया, जिसको देखने के बाद व्यापारी और उसकी पत्नी दोनों ही हैरान रह गए. क्योंकि, वह अंडा सोने का था.

वह मुर्गी हमेशा सोने का अंडा देती और पति-पत्नी उसे बेचकर पैसे कमाते. सोने के अंडे को देखकर उनके मन में लालच बढ़ने लगा और व्यापारी ने सोचा कि, अगर ये हर रोज एक सोने का अंडा देती है तो इसके अंदर और कितने अंडे होंगे?

ये सोचकर उन्हें एक तरकीब आई और उन्होंने मुर्गी को मार डाला और जब उसका पेट चीर कर देखा तो उस में एक भी अंडा नहीं था.

व्यापारी और उसकी पत्नी अपने किए पर पछताए. उन्होने मुर्गी भी मार दी और उससे मिलने वाले सोने के अंड़े भी अब नही मिलने वाले थे.

कहानी की सीख

लालच बुरी बला है.


झूठा दोस्त

(Short Moral Story In Hindi)

एक बार कि बात हैं, हिरण और कौआ बहुत अच्छे दोस्त थे. वे दोनों हर सुख-दुख में एक-दूसरे का साथ देते थे.

एक दिन कौए ने हिरण को सियार के साथ देख लिया. कौए ने हिरण को समझाया कि सियार बहुत चालाक जानवर है, वो हर किसी को अपने जाल में फंसा लेता है. इसलिए उसका साथ छोड़ दे. हिरण ने कौए की सलाह पर ध्यान नहीं दिया और सियार के साथ खेत में चला गया. हिरण वहाँ लगे जाल में फंस गया.

सियार उससे कहने लगा “मैं तो किसान को बुलाने जा रहा हूं, वह आएगा और तुम्हें मार डालेगा.”

हिरन चिल्लाने लगा, तभी वहां कौआ आया और उसने हिरन से कहा तुम ऐसे लेट जाओ जैसे की तुम मर गए हो. हिरन ने आपने दोस्त की बात मानी और वैसे ही किया.

थोड़ी देर बाद वहाँ किसान आया और उसने देखा कि हिरन तो मर गया, ये देखकर वो बहुत खुश हुआ. किसान ने जल्दी से जाल खोला और जाल खुलते ही हिरन वहाँ से भाग निकला. ये देखकर किसान बहुत गुस्सा हुआ और सियार को खूब मारा और उसे वहाँ से भगा दिया.

कहानी की सीख

किसी पर आंख मूंदकर भरोसा नही करना चाहिए. भरोसे से पहले परखना चाहिए.


बुद्धिमान साधू

(Small Story in Hindi)

एक बड़ा सा राजमहल था, जिसके द्वार पर एक साधु आया और वो साधु द्वारपाल से आकर कहने लगा कि अंदर जाकर राजा से कहो कि उनका भाई उनसे मिलने आया है.

द्वारपाल सोचने लग गया कि ये साधु के भेष में राजा से कौन मिलने आया है जो राजा को अपना भाई बता रहा है. फिर द्वारपाल ने समझा कि क्या पता कोई दूर का रिश्तेदार हो जिसने सन्यास ले लिया हो. द्वारपाल ने अंदर जाकर सूचना दी जिसके बाद राजा मुस्कुराने लगे और उन्होंने कहा कि साधु को अंदर भेज दो.

साधु ने पूछा, “ कैसे हो भैया?

राजा ने जवाब दिया, “ मैं ठीक हूँ, तुम बताओ, तुम कैसे हो?

साधु ने राजा को कहा, “ मैं जिस महल में रहता हूँ वो बहुत ही ज्यादा पुराना हो गया है. कभी भी टूटकर गिर सकता है. यहाँ तक की मेरे 32 नौकर थे वो भी एक-एक करके चले गए. ये सब सुनकर राजा ने साधु को 10 सोने के सिक्के देने का आदेश दिया. पर साधु ने कहा 10 सोने के सिक्के तो कम है. ये सुनकर राजा ने कहा कि अभी तो इतना ही है तुम इससे काम चलाओ इसके बाद साधु वहाँ से चला गया.

साधु को देखकर मंत्रियो के मन में भी कई सवाल उठ रहे थे, उन्होंने राजा से कहा कि जितना हमे पता है आपका तो कोई भाई नहीं है तो आपने उस साधु को इतना बड़ा इनाम क्यों दिया? राजा ने जवाब देते हुए कहा, “देखो भाग्य के दो पहलू होते है- राजा और रंक, इस नाते उसने मुझे भाई बोला.

राजा ने समझाते हुए कहा कि जर्जर महल से उसका मतलब उसका बूढ़ा शरीर था, 32 नौकर से उसका मतलब 32 दाँत थे. समंदर के बहाने उसने मुझे उलझा दिया कि राजमहल में उसके पैर रखते ही मेरा राजकोष सुख गया, क्योंकि मैं मात्र उसे दस सोने के सिक्के दे रहा था जबकि मेरी हैसियत उसे सोने से तोल देने की है. इसलिए राजा ने ऐलान किया कि मैं उसे अपना सलाहकार नियुक्त करुँगा.

कहानी की सीख

किसी भी व्यक्ति का बाहरी रंग-रूप से उसकी बुद्धिमता का आकलन नही होता.


शेर की चाल

(Inspirational Short Moral Stories in Hindi)

एक घना जंगल था. वहाँ चार बैल रहते थे. चारों बैल में काफी गहरी मित्रता थी. शेर की एक इच्छा थी. वो चाहता था कि इन में से अगर कोई बैल मुझे अकेला मिल जाये तो मैं उसे मार कर खा जाऊँ.

पर शेर की ये इच्छा कभी पूरी नहीं हुई. चारो बैल हमेशा झुंड बनाकर रखते थे और हमेशा एक-दूसरे की मदद करने के लिए तैयार रहते थे.

शेर उनके बड़े सींगो से काफी डरता था, और उनसे दूर भागता था. एक दिन शेर ने सोचा कि ये चारों कभी भी एक-दूसरे से अलग नहीं होते, मुझे कुछ ऐसा सोचना होगा जिससे मैं उन्हें एक-दूसरे से अलग कर पाऊँ.

इसलिए वह कोई ऐसी योजना सोचने लगा जिससे उनकी मित्रता तोड़ी जाए. एक दिन वह एक बैल के पास गया और उससे बोला, “तुम्हारे मित्र कहते है कि तुम बहुत बड़े मूर्ख हो.

यह सुनकर बैल को बहुत बुरा लगा और उसने दूसरे बैलों से बोलना छोड़ दिया. इसी तरह शेर ने सारे बैलों के बीच में एक-दूसरे के लिए नफरत भर दी. इसके बाद शेर ने एक दिन एक बैल पर हमला कर दिया, ये देखकर तीनों बैल उसकी सहायता करने के लिए आगे आ गए. पहले बैल ने धन्यवाद करते हुए कहा कि हम मूर्ख नहीं है , जो शेर की चाल में आ जाते.

कहानी की सीख

हमें दोस्तों पर भरोसा करना चाहिए और किसी के बहकावे में आकर दोस्तों से झगड़ा नही करना चाहिए.


गाने वाले गधे की कहानी 

(Short Moral Stories in Hindi For Class 7 With Pictures)

बहुत पहले की बात है, पास के जंगल में एक भूखा गधा उदास रो रहा था. दिनभर के काम के बाद, उसके मालिक ने उसे ठीक से नहीं खिलाया था, इस कारण से वो उदास रो रहा था. 

पास से ही, एक गीदड़ वहाँ से गुजर रहा था और उसने भूखे गधे को देखा.

“क्या हुआ, गधा?” गीदड़ ने पूछा.

“मुझे बहुत ज़ोरों से भूख लग रही है और मैं यहाँ सब चर चुका हूँ, फिर भी मैं अभी भी भूखा हूँ!” गधा रोया. 

गधे की दुःख भरी बात सुनकर सियार ने कहा, “ओह, तुम जानते हो कि पास में एक बड़ा ताजी सब्जियों का खेत है. तुम वहाँ जा सकते हो और भर पेट खाना खा सकते हो!” 

“कृपया मुझे वहाँ ले चलो!” गधे ने कहा.

ऐसा सुनकर गीदड़ उस गधे को खेत तक ले गया. एक बार सब्जी के खेत में वो लोग पहुँच गए, फिर वे चुपचाप ताजी सब्जियां चबाते हैं. तभी उनके पास में किसी के आने की आवाज़ सुनायी पड़ी. आवाज़ सुनकर वो दोनों भाग जाते हैं. 

अब से दोनों ही जानवर हर दिन सब्जी के बगीचे में जाते थे और भर पेट खाना खाते थे. लेकिन एक दिन उनकी क़िस्मत ख़राब थी, उन्हें एक किसान ने देख लिया और उन्हें भगा दिया. 

उस दिन दोनों जानवर भूखे थे. जैसे ही रात हुई, गीदड़ ने सुझाव दिया कि वे वापस सब्जी के खेत में चले जाएँ, ताकि उन्हें फिर से भर पेट खाने को मिले. 

रात होने पर, गधा और गीदड़ चुपचाप खेत में घुस गए और फिर भर पेट खाने लगे. खाते वक्त, गधे के मन में कुछ सूझा और उसने कहाँ, “ओह, इतने स्वादिष्ट खीरे और चाँद को देखो! यह इतना सुंदर है कि मैं एक गाना गाना चाहता हूं”. 

ऐसा सुनते ही गीदड़ ने कहा, “अभी नहीं! तुम यहाँ नहीं गा सकते!”

“लेकिन, मैं तो गाना चाहता हूँ,” गधे ने गुस्से में कहा.

गीदड़ ने उसे समझाने की कोशिश करी और कहाँ, “किसान उसकी बात सुनेगा, उनके पकड़े जाने का डर भी है. जब गधे ने उसकी बात नहीं मानी तब वो वहाँ से चला गया. 

गधे ने आह भरी और गाना शुरू कर दिया. थोड़ी ही दूर पर किसान और उसके परिवार ने एक गधे के रेंकने की आवाज सुनी. वे लाठी लेकर गधे की ओर दौड़े.

गधे को पीटकर जल्द ही खेत से बाहर खदेड़ दिया.

“ओउ-ओउ-ओउ!” गधा दर्द से कराहता हुआ वापस गीदड़ के पास आ गया, और उसने सारी बात बताई. 

उसकी बात सुनकर, गीदड़ ने कहा “तुम्हें तब तक इंतजार करना चाहिए था जब तक हम गाने के लिए खेत से बाहर नहीं आ गए होते! लेकिन, तुमने मेरी बात बिलकुल भी नहीं सुनी. जिससे आगे चलकर तुम्हें मार भी खानी पड़ी. चलो, तुम्हें आराम करने की जरूरत है! 

आगे से ऐसी गलती कभी भी मत करना, ऐसा कहने के बाद गीदड़ वहाँ से चला गया.

गधा को उसके किए की सजा मिल गई लेकिन, बहुत बड़ा सबक भी उसने सीख लिया.

कहानी की सीख

कोई भी कार्य करने का एक उचित समय और स्थान होता है. इसलिए, हमेशा सही समय और सही स्थान का ध्यान रखें.


लालची बंदर

(Short Animal Stories in Hindi)

एक बंदर रोज एक आदमी के घर आता था और दंगा करता था. कभी कपड़े फाड़ देता, कभी बर्तन ढोता, कभी बच्चों को पीटता. उसने खाने-पीने की चीजें भी ले लीं, लेकिन उसके परिवार को कोई शिकायत नहीं थी. लेकिन वे बंदरों से त्रस्त थे.

एक दिन घर के नौकर ने कहा, “मैं इस बंदर को पकड़ कर निकाल दूंगा. सब चले गए. बंदर घर में आया. कुछ देर बाद वह कूद कर बाहर आया. जब उसने दबे हुए सुरई (पतले मूँह वाला मटका) में छोले देखे तो वह वहीं बैठ गया.

चना निकालने के लिए उसने सुरई में हाथ डाला और एक मुट्ठी चना पकड़ लिया. लेकिन, सुरई का मुंह पतला होने के कारण बंद मुट्ठी बाहर नहीं निकली. इसके लिए उसने जोर से धक्का दिया और कूदने लगा. लेकिन लालची बंदर ने हाथ के चने नहीं छोड़े.

इतनी देर में नौकर ने बंदर को रस्सी से बांधकर बाहर निकाला. लालची बंदर पकड़ा गया.

कहानी की सीख

लालच बुरी बला है.


एकता की शक्ति

(Good Short Moral Stories in Hindi)

एक किसान के पांच पुत्र थे, लेकिन पुत्रों के बीच पूर्ण भाईचारा नहीं था. वो एक-दूसरे से झगड़ते रहते थे.

जब वह किसान मरने ही वाला था, तो उसने 5 लड़को को बुलाकर बैठा दिया, और पतली छड़ियों का एक पूरा गट्ठर दिया और उनमें से एक से कहा, “तुम इस गट्ठर को तोड़ दो, लेकिन पांचो पुत्रों में से कोई भी पूरी गट्ठर नहीं तोड़ पाया.

तब उस बूढ़े किसान ने कहा अब गट्ठर को छोड़ दो और हर एक पुत्र एक-एक डंडे को तोड़ दो. पुत्रो ने ऐसा किया तो सारी डंडिया तुरंत टूट गईं.

पांचो पुत्र बहुत हैरान हुए और उन्होंने पिता से पूछा कि उसने ऐसा क्यों किया? फिर उसने कहा, वे सब पतली लकड़ियाँ एक साथ इकट्ठी थी, सो उन में इतना बल था कि सारा गट्ठर तुमसे से न टूटा. लेकिन जब एक-एक लाठी अलग हो गई, तो उसे दूसरी छड़ियों के बल से सहारा नहीं मिला. तो यह तुरंत टूट गया.

इस तरह अगर आप सब एक हो जाएं तो आपको कोई अलग नहीं कर सकता और आपका जीवन खुशियों में चला जाएगा. लेकिन अगर आपस में लड़ो और बिछड़ो तो तुम भी कमजोर हो जाओगे और डंडे की तरह टूट जाओगे, इसलिए अभी से साथ रहो.

किसान के पुत्रों को सीख मिल चुकी थी. इस सीख के बाद वे कभी नही लड़े और प्रेम भाव से रहने लगे. किसान भी अब सुख पूर्वक रहने लगा.

कहानी की सीख

एकता में शक्ति होती है.


(Short Story in Hindi With Moral)

एक बार एक किसान एक बकरी, एक घास के गट्ठर और एक शेर लिए नदी के किनारे खड़ा था. उसे नाव से नदी पार करनी थी. लेकिन, नाव बहुत छोटी थी वह एक साथ इन सब को नदी पार नहीं करा सकता था. अगर वह शेर को पहले ले जाता तो बकरी घास खा जाती, अगर वह घास के गट्ठर को ले जाता तो शेर बकरी को खा जाता.

इस परेशानी से थक हार कर वह निराश हो जमीन पर बैठ गया.

बहुत सोचने के बाद अंतत: उसे इस परेशानी से निकलने का समाधान मिल गया. उसने पहले बकरी को साथ में लिया और नदी के उस पार छोड़ आया. दूसरे चक्कर में वह शेर को नदी पर ले आया, लेकिन लौटते वक्त किसान वापस बकरी को नदी के इस पार ले आया.

इस बार वह बकरी को इस पार छोड़ कर उस पार घास के गट्ठर को शेर के पास छोड़ आया, इस बार किसान खाली माव लेकर गया और उस पार खड़ी बकरी को भी इस पर ले आया.

इस तरह किसान ने अपनी सूझभूझ से बिना किसी नुकसान हुए नदी पार कर ली.

कहानी की सीख

धैर्य और समझदारी से कठिन कार्य भी आसानी से किये जा सकते हैं.


Hindi Short Stories यहीं पर समाप्त होती हैं. इन प्रेरक हिंदी कहानियाँ का संग्रह में हम इजाफा करते रहेंगे और आपके लिए प्रस्तुत करते रहेंगे. इस लेख को अपने जैसे जरुरतमंद साथियों तक जरूर पहुँचाएं ताकि वे भी अपने बच्चों के लिए नैतिक कहानियाँ ढूँढ़ रहे हैं तो उनकी भी भलाई हो जाए.

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