कम्प्यूटर क्या होता है – Computer एक मशीन है जो कुछ तय निर्देशों के अनुसार कार्य को संपादित करता है. और ज्यादा कहें तो Computer एक इलेक्ट्रोनिक डिवाइस है जो इनपुट डिवाइसों की मदद से आँकडों को स्वीकार करता है उन्हें प्रोसेस करता है और उन आँकडों को आउटपुट डिवाइसों की मदद से सूचना के रूप में प्रदान करता है.
कम्प्यूटर हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है. घरों से लेकर स्कूल/कॉलेज, ऑफिस तक में इसका इस्तेमाल दैनिक कामकाज को निपटाने के लिए रोजाना किया जा रहा है.
आइए अब जानते हैं आखिर यह कम्प्यूटर क्या होता है और यह कैसे हमारे दैनिक जीवन का अहम हिस्सा बनता जा रहा है. साथ में कम्प्यूटर क्षेत्र में करियर के विकल्पों के बारे में भी आपको जानकारी मिलेंगी.
कम्प्यूटर क्या है – What is Computer in Hindi
कम्प्यूटर क्या होता है? इस सवाल का हल जानने के लिए पहले आपको कम्प्यूटर की परिभाषा (Computer Definition in Hindi) को जानना जरूरी है. इस परिभाषा के बाद आप कम्प्यूटर को समझना आसान हो जाएगा.
कम्प्यूटर की परिभाषा:
“कम्प्यूटर एक ऐसी मशीन है जो कुछ तय कमांड्स (निर्देश) के अनुसार कार्य को संपादित करता है. और सरल करें तो कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रोनिक उपकरण है जो इनपुट उपकरणों की मदद से आँकड़ों को स्वीकारता है उन्हें प्रोसेस करता है और उन आँकडों को आउटपुट उपकरणों की मदद से सूचना के रूप में प्रदान करता है.”
कम्प्यूटर मशीन की इस परिभाषा से स्पष्ट है कि कम्प्यूटर यूजर द्वारा पहले कुछ निर्देश लेता है जो विभिन्न इनपुट डिवाइसों (जिन डिवाइसों से यूजर कम्प्यूटर को कमांड देता है) की मदद से प्रविष्ट (एंटर) कराए जाते हैं. फिर उन निर्देशों को प्रोसेस किया जाता है, और आखिर में निर्देशों के आधार पर परिणाम देता है. इस परिणाम को आउटपुट डिवाइसों (जिन डिवाइसों से यूजर को कमांड के परिणाम प्राप्त होते हैं) की मदद से प्रदर्शित करता है.
इन निर्देशों (कमांड्स) में कई प्रकार का डेटा शामिल होता है. जैसे; संख्या, वर्णमाला, आंकड़े आदि. इस डेटा के अनुसार ही कम्प्यूटर परिणाम बनाता है. यदि कम्प्यूटर को गलत आंकड़े दिए जाते है तो कम्प्यूटर भी गलत ही परिणाम देता है. मतलब साफ है कि कम्प्यूटर GIGO – Garbage in Garbage Out के नियम पर काम करता है.
क्या कम्प्यूटर की यह परिभाषा सर्वमान्य है?
कम्प्यूटर एक ऐसी मशीन है जो सैंकड़ों हजारों प्रकार के कामों को अकेली निपटाने की क्षमता रखती हैं. इसलिए, ऊपर दी गई परिभाषा कम्प्यूटर का अर्थ समझाने के लिए तो पर्याप्त है लेकिन, विभिन्न पेशों में कार्य करने वाले व्यक्तियों के लिए इस मशीन का नामकरण करने के लिए पर्याप्त नही हैं.
क्योंकि, इस परिभाषा से हम कम्प्यूटर का नामकरण करने के बजाए उसका अर्थ और कार्यप्रणाली को परिभाषित करने में कामयाब हो पाते हैं.
वैसे भी कम्प्यूटर को शब्दो मे बांधना थोडा सा मुश्किल कार्य हैं. ऐसा इसलिए है कि हर इंसान इसका उपयोग अलग-अलग कार्यों के लिए करता है.
मसलन, कम्प्यूटर के बारे में एक आम धारणा भी प्रचलित है कि Computer एक अंग्रेजी शब्द है. कम्प्यूटर का हिंदी में मतलब (Computer Meaning in Hindi) “गणना” होता है. इसका मतलब कम्प्यूटर एक गणकयंत्र (Calculator) है. लेकिन, कम्प्यूटर को एक जोडने वाली मशीन कहना गलत होगा. क्योंकि कम्प्यूटर जोडने के अलावा सैकडों अलग-अलग कार्य करता है.
इसी तरह आप एक लेखक/टाइपिस्ट से पूछोगे कि कम्प्यूटर क्या है? तो वह शायद कहे की कम्प्युटर एक टाइप मशीन हैं. हम एक गेम खेलने वाले बालक से पूछे तो वह शायद कहे कि कम्प्यूटर तो एक गेम मशीन है. कम्प्यूटर ऑपरेटर से पूछोगे तो वह इसे ऑफिस का काम निपटाने वाली मशीन के संदर्भ में परिभाषित करने की कोशिश करेगा.
उपर प्रस्तुत निष्कर्सों के आधार पर अगर हम कहे तो कम्प्यूटर को किसी एक अर्थ में नही बांधा जा सकता है. कम्प्यूटर का मतलब उसके उपयोग के आधार पर हर व्यक्ति के लिए भिन्न है.
कम्प्यूटर का पूरा नाम – Computer Full Form in Hindi
कम्प्यूटर की वैसे तो कोई Standard Full Form नही है. लेकिन, अलग-अलग व्यक्तियों, पेशेवरों और संस्थाओं द्वारा अपने शोध और अनुभव के आधार पर इसके पूरे नाम को अलग-अलग बताया गया है. आपकी सुविधा के लिए हम नीचे एक लोकप्रिय और बहुप्रचलित कम्प्यूटर की फुल फॉर्म बता रहे हैं.
C – Commonly
O – Operating
M – Machine
P – Particularly
U – Used in
T – Technology
E – Education and
R – Research
अर्थात Commonly Operating Machine Particularly Used in Technology Education and Research.
कम्प्यूटर के सहायक उपकरण – Computer Peripherals Introduction in Hindi

कम्प्यूटर अपना कार्य अकेला नही कर सकता है. यह किसी कार्य को करने के लिए कई तरह के उपकरणों तथा प्रोग्राम्स की सहायता लेता है. Computer के ये उपकरण और प्रोग्राम्स ‘हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर’ के नाम से जाने जाते है. एक आम कम्प्यूटर के पार्ट्स को आप नीचे दिखाई दे रहे चित्र में आसानी से देख सकते हैं.
ऊपर जो कम्प्यूटर और उसके सहायक उपकरण आप देख रहे है इस पूरे सिस्टम को ‘डेस्कटॉप Computer‘ कहते है. वर्तमान समय में इसी प्रकार के कम्प्यूटर अधिक प्रचलित है. आइए अब आपको कम्प्यूटर के इन उपकरणों के बारे में जानकारी देते हैं.
#1 System Unit
सिस्टम युनिट एक बक्सा होता है जिसमें कम्प्यूटर को अपना कार्य करने के लिए आवश्यक यंत्र लगे होते हैं. सिस्टम युनिट को आम भाषा में CPU (Central Processing Unit) भी बोला जाता है. इसमें मदरबोर्ड, प्रोसेसर, हार्ड डिस्क, रैम, एसएमपीएस आदि यंत्र लगे होते है जो कम्प्यूटर को कार्य करने लायक बनाते हैं. इसे Computer Case भी कहते हैं.
#2 Monitor
मॉनिटर एक आउटपुट डिवाइस है जो यूजर यानि हमे दिए गए निर्देशों के परिणामों को दिखाता है. यह बिल्कुल टीवी के जैसा दिखाई देता है. वर्तमान में मॉनिटरों की जगह एल सी डी एवं एल ई डी ने ले ली है.
#3 Keyboard
कीबोर्ड एक इनपुट डिवाइस है जो यूजर्स को कम्प्यूटर को निर्देश देने के लिए सहायता करता है. इसकी मदद से ही वांछित आंकडे एवं निर्देश कम्प्यूटर तक पहुँचाएं जाते हैं. इसमे विभिन्न प्रकार की कुंजिया (keys) होती है.
#4 Mouse
माउस भी एक इनपुट डिवाइस है जो कम्प्यूटर को निर्देश देने के लिए होता है. यूजर्स इसके द्वारा कम्प्यूटर में उपलब्ध प्रोग्राम्स को चुनते हैं और टास्क देते हैं.
#5 Speakers
स्पीकर एक आउटपुट डिवाइस होता है जो यूजर्स को कम्प्यूटर से साउंड परिणाम यानि आवाज को सुनने में मदद करते हैं. इन्ही के द्वारा यूजर्स यानि हमें गानों, फिल्मों, प्रोग्रामों तथा खेलों आदि में उपलब्ध ध्वनी सुनाई देती है.
#6 Printer
प्रिंटर भी एक आउटपुट डिवाइस है जो कम्प्यूटर द्वारा विश्लेषित सूचनाओं को कागज पर प्राप्त करने के लिए होता है. कागज पर प्राप्त होने वाली सूचनाओं को ‘हार्डकॉपी‘ भी कहते है. और इसके उलट जो सूचनाए कम्प्यूटर में ही सेव रहती है उन्हे ‘सॉफ्टकॉपी’ कहा जाता है.
कम्प्यूटर की विशेषताएं – Characteristics of Computer in Hindi
कम्प्यूटर में कुछ खास गुण होने के कारण ही इसने हम इंसानों के अधिकतर कामों पर कब्जा करना शुरु कर दिया है. इन्ही कुछ विशेषताओं के बारे में नीचे बताया जा रहा है.
गति – Speed
- कम्प्यूटर बहुत तेज स्पीड से कार्य करता हैं.
- यह हजारों-लाखों निर्देशों को केवल एक सेकंड में ही संसाधित कर सकता हैं.
- इसकी डाटा संसाधित करने की गति को माइक्रोसेकंड (10–6), नैनोसेकंड (10-9) तथा पिकोसेकंड (10-12) में मापा जाता हैं.
- आमतौर पर प्रोसेसर की एक युनिट की गति दसियों लाख निर्देश प्रति सेकंड यानि MIPS (Millions of Instructions Per Second)
- इस मशीन का निर्माण ही तीव्र गति से कार्य करने के लिए किया गया हैं.
शुद्धता – Accuracy
- कम्प्यूटर GIGO (Garbage in Garbage Out) सिद्धांत पर कार्य करता हैं.
- इसके द्वारा दिए गए परिणाम त्रुटिहीन रहते हैं. अगर किसी परिणाम में कोई त्रुटि आती हैं तो वह इंसानी हस्तक्षेप तथा प्रविष्ट निर्देशों के आधार पर होती हैं.
- ध्यान रखें कम्प्यूटर उतना ही सही है जितना सही उसे डाटा दिया गया है.
- इसके परिणामों की शुद्धता मानव परिणामों की तुलना में बहुत ज्यादा होती हैं.
परिश्रमी – Diligence
- कम्प्यूटर 24 घंटे सप्ताह के सातों दिन और साल के 365 दिन लगातार काम कर सकता है.
- यह एक थकान मुक्त और मेहनती मशीन हैं.
- यह बिना रुके, थके और बोरियत माने बगैर अपना कार्य सुचारु रूप से समान शुद्धता के साथ कर सकता हैं.
- यह पहले और आखिरी निर्देश को समान एकाग्रता, ध्यान, मेहनत और शुद्धता से पूरा करता है.
बहुप्रतिभा – Versatility
- कम्प्यूटर एक बहु-उद्देश्य मशीन हैं. जो गणना करने के अलावा अन्य विभिन्न उपयोगी कार्य करने में सक्षम होता हैं.
- इसके द्वारा हम टाइपिंग, दस्तावेज, रिपोर्ट, ग्राफिक, विडियों, ईमेल आदि सभी जरूरी काम पूरे कर सकते है.
स्वचालित – Automation
- यह एक स्वचालित मशीन भी हैं.
- यह बहुत सारे कार्यों को बिना इंसानी हस्तक्षेप के पूरा कर सकता हैं.
- स्वचालितता इसकी बहुत बडी खूबी हैं.
संप्रेषण – Communication
- कम्प्यूटर मशीन अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों से भी बात-चीत कर सकता हैं.
- यह नेटवर्क के जरीए अपना डाटा का आदान-प्रदान एक-दूसरे को आसानी से कर सकते हैं.
- कम्प्यूटर एक-दूसरे डिवाइसों से संपर्क करने की क्षमता इसे अन्य मशीनों से अलग बनाती है और हम इंसानों के लिए इसे उपयोगी साबित करती है.
भंडारण क्षमता – Storage Capacity
- कम्प्यूटर में बहुत विशाल मेमोरी होती हैं.
- कम्प्यूटर मेमोरी में उत्पादित परिणाम, प्राप्त निर्देश, डाटा, सूचना अन्य सभी प्रकार के डाटा को विभिन्न रूपों में संचित किया जा सकता हैं.
- भंडारन क्षमता के कारण कम्प्यूटर कार्य की दोहराव से बच जाता हैं.
विश्वसनीय – Reliability
- यह एक भरोसेमंद और विश्वसनीय मशीन हैं.
- इसका जीवन लंबा होता है.
- इसके सहायक उपकरणों को आसानी से पलटा और रख-रखाव किया जा सकता हैं.
कम्प्यूटर की सीमाएं – Limitations of Computer in Hindi
अब तक आप जान ही चुके हैं कि कम्प्यूटर एक मशीन है. इसलिए, इसकी कुछ सीमाएं जरूर होंगी. क्योंकि, हम इंसानों की तरह मशीनों की कुछ सीमाएं होती है या क्षमताएं होती हैं जिनके बाहर वे काम ठीक ढंग से नही कर सकती है. इसी तरह कम्प्यूटर की भी कुछ सीमाएं हैं. जिनका जिक्र नीचे किया जा रहा है.
- कम्प्यूटर एक मशीन हैं जो कार्य करने के लिए इंसानों पर निर्भर है. जब तक इसमे निर्देश प्रविष्ट नहीं होंगे यह कोई परिणाम उत्पादित नहीं कर सकता है.
- इसमें विवेक नहीं होता हैं. यह बुद्धिहीन मशीन हैं. इसमें सोचने-समझने की क्षमता नहीं होती हैं. मगर वर्तमान समय में कृत्रिम मेधा (Artificial Intelligence) और मशीन लर्निंग के द्वारा कम्प्यूटरों को सोचने और तर्क करने योग्य क्षमता विकसित की जा रही हैं. जिसका जीता जागता उदाहरण आप ChatGPT और Bing जैसे टूल्स में देख पाते हैं.
- इसे काम करने के लिए साफ-सुथरे वातारण की जरुरत पडती हैं. क्योंकि धूल-भरी जगह पर इसकी कार्यक्षमता प्रभावित होती हैं. और यह कार्य करना बंद भी कर सकता हैं.
कम्प्यूटर के विभिन्न प्रकार – Difference Types of Computer in Hindi
कम्प्यूटर का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में एक ही तस्वीर बनती है कि मेज पर एक टीवीनुमा डिस्पेल रखी हुई है जिसके बगल में लोहे का बॉक्स जिसमें विभ्न्न तारों के द्वारा कुछ उपकरण जुड़े हुए है.
लेकिन, आप जानकार चौंक जाएंगे कि आपने कैलकुलेटर से जोड़ किया, पेट्रोल पंप से पेट्रोल डलवाया, एटीएम से पैसे निकाले या फिर अपने स्मार्टफोन का इस्तेमाल किया. यह सभी काम आप एक कम्प्यूटर से ही कर रहे होते हैं.
अगर, तकनीकि भाषा में बात करें तो कम्प्यूटरों को तीन वर्गों में बांटा गया है.
- अनुप्रयोग (Applications)
- उद्देश्य (Purpose)
- आकार(Size)
लेकिन, यहाँ पर ज्यादा गहरा नही जाएंगे और आम जीवन में काम आने वाले विभिन्न प्रकार के कम्प्यूटरों से आपका परिचय कराएंगे.
#1 डेस्कटॉप कम्प्यूटर
डेस्क यानी मेज पर रखे जाने वाले कम्प्यूटर को डेस्कटॉप कम्प्यूटर कहते हैं. इसका कम्प्यूटर का इस्तेमाल सामान्यत: हो रहा है. जिसके द्वारा घर, ऑफिस, स्कूल/कॉलजे, कारखानों, फैक्ट्रियों, कॉल सेंटर्स आदि जगहों पर बहुतायत से होता है.
इस कम्प्यूटर में एक मॉनिटर, कम्प्यूटर केस, कीबोर्ड, माउस आदि कॉमन डिवाइस आपको देखने को मिलते हैं. साथ में आपको स्पीकर, प्रिंटर जैसे कुछ अतिरिक्त डिवाइस भी देखने को मिला जाएंगे.
#2 लैपटॉप कम्प्यूटर
यह कम्प्यूटर सूतकेस नुमा होता है. जिसका एक हिस्सा मॉनिटर होता और दूसरा हिस्से में सहायक उपकरण लगे होते हैं. यह कम्प्यूटर बैटरी से चलता है इसलिए, इसे यूजर कहीं भी ले जाकर अपना काम कर सकता है.
#3 टैबलेट कम्प्यूटर
टैपलेट कम्प्यूटर एक हैंडहेल्ड डिवाइस है जो लैपटॉप से भी ज्यादा पोर्टेबल होता है. यह इनपुट लेने तथा दिखाने के लिए टच-स्क्रीन का उपयोग करते हैं. इनमें अलग से कीबोर्ड, माउस आदि की जरूरत नही रहती है. यह टच-स्क्रीन और सॉफ्टवेयर्स की मदद से ही यूजर्स को नेविगेसन मुहैया कराते हैं. इनका यूजर इंटरफेस बहुत सरल होता है.
#4 सर्वर
कुछ कम्प्यूटरों के नेटवर्क को सर्वर कहते हैं जो किसी नेटवर्क (आमतौर पर इंटरनेट) के माध्यम से कनेक्ट होते हैं. सर्वर आमतौर पर नेटवर्क पर उपलब्ध अन्य कम्प्यूटरों को जानकारी प्रदान करता है. बड़ी-बड़ी कंपनियां और संस्थानों का स्थानीय सर्वर भी होता है.
#5 आधुनिक कम्प्यूटर
a) स्मार्टफोन: स्मार्टफोन भी एक प्रकार का कम्प्यूटर है जो शुरुआती सुपर कम्प्यूटरों से भी कई गुना तेज और विशेषताएं रखता है.
b) स्मार्ट टीवी: आजकल की टीवी जिन्हे आमतौर पर LCD तथा LED भी बोला जाता है. मोबाइल फोंस की भांति इंटरनेट युक्त आती है. जिनमें आप सीधे इंटरनेट से फिल्म अथवा क्रिकेट मैच स्ट्रीम कर सकते हैं. यह सुविधा इन्हे कम्प्यूटर की श्रेणी में रखती है.
c) वेरबल: वेरबल को हिंदी में पहनने योग्य डिवाइस कहा जाता है. आजकल कुछ ऐसे स्मार्ट डिवाइस तैयार हो रहे हैं जिन्हे हम शरीर के कुछ खास हिस्सों में पहन सकते हैं. जैसे; स्मार्टवॉच, फिटनेस ट्रैकर आदि.
d) गेम कंसोल: इस डिवाइस का उपयोग टीवी में वीडीयो गेम खेलने के लिए किया जाता है.
कंप्यूटर की कार्यप्रणाली (How Computer Works)
कंप्यूटर एक अत्यधिक उन्नत उपकरण है, जो आज के डिजिटल युग में जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है. कंप्यूटर की कार्यप्रणाली को समझने के लिए हमें इसके चार मुख्य घटकों और उनके आपसी क्रियावली को जानना पड़ेगा. ये घटक हैं: इनपुट (Input), प्रोसेसिंग (Processing), स्टोरेज (Storage), और आउटपुट (Output). इन सभी चरणों को मिलाकर कंप्यूटर डेटा प्रोसेसिंग साइकल (Data Processing Cycle) बनता है. जो कम्प्यूटर की कार्यप्रणाली बन जाती है.
तो आइए एक-एक करके इन चारों घटकों को समझते हैं और जान लेते है आखिर एक कम्प्यूटर कैसे काम करता है?
1. इनपुट (Input)
कंप्यूटर की कार्यप्रणाली की शुरुआत इनपुट से होती है. इनपुट वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा यूजर या बाहरी स्रोत कंप्यूटर में डेटा और जानकारी डालते हैं. इसमें यूजर द्वारा दिए गए निर्देश या डेटा को कंप्यूटर समझने योग्य रूप में बदलने का काम होता है. इस कार्य के लिए इनपुट डिवाइस जैसे कीबोर्ड, माउस, स्कैनर, माइक्रोफोन आदि का उपयोग किया जाता है.
उदाहरण स्वरूप, जब आप कीबोर्ड पर कुछ टाइप करते हैं या माउस के जरिए किसी आइकन पर क्लिक करते हैं, तो आप कंप्यूटर को निर्देश दे रहे होते हैं. यह डेटा कंप्यूटर द्वारा प्रोसेसिंग के लिए तैयार किया जाता है.
2. प्रोसेसिंग (Processing)
प्रोसेसिंग वह चरण है जिसमें कंप्यूटर द्वारा दिया गया डेटा किसी विशेष तरीके से प्रोसेस किया जाता है. यह चरण कंप्यूटर के केंद्रीय प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) में होता है, जो कंप्यूटर का दिमाग माना जाता है. CPU में दो प्रमुख घटक होते हैं: ALU (Arithmetic Logic Unit) और CU (Control Unit).
- ALU: गणनाएँ और तार्किक ऑपरेशंस करता है. जैसे जोड़, घटाना, गुणा, भाग, तुलना आदि.
- CU: डेटा और निर्देशों को नियंत्रित करता है और यह सुनिश्चित करता है कि सभी प्रक्रियाएँ सही तरीके से चलें.
प्रोसेसिंग के दौरान कंप्यूटर इनपुट डेटा को समझता है, उसे मापता है, और निर्धारित कार्य को लागू करता है. उदाहरण के लिए, अगर आपने कोई गणना की तो CPU उस गणना को करेगा और परिणाम को स्टोर करेगा या आउटपुट के लिए तैयार करेगा.
3. स्टोरेज (Storage)
स्टोरेज वह प्रक्रिया है जिसमें कंप्यूटर के पास सभी डेटा और निर्देशों को सुरक्षित रखा जाता है. कंप्यूटर में दो प्रकार के स्टोरेज होते हैं: प्राथमिक स्टोरेज (Primary Storage) और द्वितीयक स्टोरेज (Secondary Storage).
- प्राथमिक स्टोरेज: इसमें RAM (Random Access Memory) और Cache Memory शामिल होते हैं. जब डेटा प्रोसेसिंग के दौरान तेजी से एक्सेस की आवश्यकता होती है तो वह डेटा RAM में स्टोर किया जाता है. RAM अस्थायी होता है, यानी कंप्यूटर बंद होने पर इसका डेटा हट जाता है.
- द्वितीयक स्टोरेज: इसमें हार्ड ड्राइव (HDD), सॉलिड-स्टेट ड्राइव (SSD), और अन्य बाहरी स्टोरेज डिवाइस शामिल होते हैं. द्वितीयक स्टोरेज डेटा को स्थायी रूप से स्टोर करता है. जब आप कोई फाइल सेव करते हैं, तो वह हार्ड ड्राइव या SSD में संग्रहित होती है.
कंप्यूटर स्टोरेज का उद्देश्य डेटा को सुरक्षित रखना और उसे जरूरत के अनुसार प्रोसेसिंग या आउटपुट के लिए उपलब्ध कराना है. उदाहरण के तौर पर जब आप एक डॉक्यूमेंट लिखते हैं और उसे सेव करते हैं, तो वह डेटा स्टोरेज डिवाइस में संग्रहित हो जाता है.
4. आउटपुट (Output)
आउटपुट वह प्रक्रिया है, जिसमें कंप्यूटर द्वारा प्रोसेस किए गए डेटा को यूजर के लिए समझने योग्य रूप में प्रस्तुत किया जाता है. आउटपुट डिवाइस जैसे मॉनिटर, प्रिंटर, स्पीकर आदि का उपयोग आउटपुट डेटा को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है.
उदाहरण स्वरूप, जब आप किसी डॉक्यूमेंट को टाइप करते हैं और उसे स्क्रीन पर देखते हैं, तो वह स्क्रीन आउटपुट डिवाइस का हिस्सा है. इसी तरह जब आप कोई फोटो प्रिंट करते हैं, तो प्रिंटर द्वारा प्राप्त परिणाम आउटपुट होता है. कंप्यूटर प्रोसेस किए गए डेटा को विभिन्न रूपों में प्रदर्शित करता है, ताकि यूजर्स उस जानकारी का उपयोग कर सके.
डेटा प्रोसेसिंग साइकल (Data Processing Cycle)
कंप्यूटर के कार्य को समझने के लिए इसे डेटा प्रोसेसिंग साइकल के रूप में देखा जा सकता है. इस साइकल में चार मुख्य चरण होते हैं: इनपुट, प्रोसेसिंग, स्टोरेज और आउटपुट.
- इनपुट: यूजर्स डेटा या निर्देश देता है
- प्रोसेसिंग: CPU डेटा को प्रोसेस करता है और गणना करता है
- स्टोरेज: प्रोसेस किए गए डेटा को सुरक्षित किया जाता है
- आउटपुट: प्रोसेस किए गए डेटा का परिणाम यूजर्स को दिखाया जाता है
यह चक्र लगातार चलता रहता है और कंप्यूटर द्वारा निरंतर डेटा प्रोसेसिंग होती रहती है. और इस तरह एक साधारण कम्प्यूटर अपना कार्य करता रहता है. मतलब, आपको आउटपुट के रूप में आपके द्वारा दिए गए निर्देशों के परिणाम दिखाता रहता है.
कंप्यूटर के उपयोग (Uses of Computers in Hindi)
कंप्यूटर ने आज के डिजिटल युग में हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है. इसके बिना आज की दुनिया की कल्पना भी करना मुश्किल है. चाहे वह शिक्षा हो, व्यवसाय, स्वास्थ्य सेवाएं, मनोरंजन या विज्ञान और इंजीनियरिंग. कंप्यूटर हर क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. यह न केवल कार्यों को आसान बनाता है, बल्कि समय और संसाधनों की बचत भी करता है.
1. शिक्षा (Education)
कंप्यूटर का शिक्षा क्षेत्र में उपयोग बहुत व्यापक है. यह शिक्षा प्रणाली को अधिक प्रभावी, इंटरैक्टिव और सुलभ बनाने में सहायक है. क्लासरूप की शिक्षा को कम्प्यूटर ने घर तक पहुँचा दिया है. मतलब, शिक्षक अब क्लासरूम नही बल्कि अपने घर के एक कोने से बच्चों को पढ़ा पाने में सक्षम हुए हैं.
- ऑनलाइन शिक्षा (Online Learning): आजकल शिक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों के माध्यम से होता है. वेबसाइट्स, ऐप्स और वीडियो कॉलिंग द्वारा शिक्षक और छात्र एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं. जैसे; Coursera, Udemy, Khan Academy जैसी वेबसाइट्स शिक्षा के एक नए युग का निर्माण कर रही हैं जहां छात्र अपनी गति से सीख सकते हैं.
- इंटरैक्टिव लर्निंग (Interactive Learning): कंप्यूटर की सहायता से इंटरएक्टिव पाठ्यक्रम बनाए जाते हैं, जिनसे छात्र अधिक प्रभावी तरीके से सीख सकते हैं. वर्चुअल प्रयोगशालाएँ, 3D मॉडलिंग और सिमुलेशन छात्रों को अवधारणाओं को बेहतर तरीके से समझने में मदद करते हैं.
- शिक्षण सामग्री का डिजिटलीकरण (Digitization of Teaching Materials): किताबें, नोट्स और अन्य शिक्षण सामग्री अब डिजिटल रूप में उपलब्ध हैं. इससे छात्रों को आसान पहुँच मिलती है और वे कहीं से भी अध्ययन कर सकते हैं.
2. व्यवसाय (Business)
कंप्यूटरों ने व्यवसाय क्षेत्र में क्रांति ला दी है. व्यापारियों, उद्यमियों और संगठनों के लिए यह एक आवश्यक उपकरण बन गया है.
- ऑटोमेशन (Automation): कंप्यूटर व्यापार प्रक्रियाओं को स्वचालित करने में मदद करते हैं. जैसे, लेखा प्रणाली, इन्वेंट्री प्रबंधन, मानव संसाधन प्रबंधन और अन्य महत्वपूर्ण कार्यों को ऑटोमेट किया जा सकता है. इससे मानवीय त्रुटियाँ कम होती हैं और कार्यों में गति आती है.
- ऑनलाइन व्यापार (E-commerce): आजकल अधिकांश व्यापार ऑनलाइन होते हैं. वेबसाइट्स और मोबाइल ऐप्स के माध्यम से, कंपनियाँ अपनी सेवाएँ और उत्पाद ग्राहकों तक पहुंचाती हैं. जैसे, Amazon, Flipkart, और अन्य ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स ने पारंपरिक व्यापार को बदल दिया है.
- डेटा विश्लेषण (Data Analytics): कंपनियाँ अपने ग्राहकों, बाज़ार और उत्पादों के बारे में डेटा एकत्र करती हैं. कंप्यूटरों की मदद से इस डेटा का विश्लेषण किया जाता है, ताकि बेहतर निर्णय लिया जा सके. इसके माध्यम से कंपनियाँ अपने उत्पादों और सेवाओं को सुधार सकती हैं और मार्केटिंग रणनीतियाँ बना सकती हैं.
3. स्वास्थ्य सेवाएं (Healthcare)
कंप्यूटर ने स्वास्थ्य सेवाओं में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है. इसके माध्यम से चिकित्सकों को मरीजों की जानकारी प्रबंधित करने, इलाज के तरीके विकसित करने और मेडिकल अनुसंधान में सहायता मिलती है.
- इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड (Electronic Health Records – EHR): अब अस्पतालों और क्लीनिकों में मरीजों के स्वास्थ्य डेटा को डिजिटल रूप में स्टोर किया जाता है. इससे मरीजों की जानकारी को जल्दी और सही तरीके से एक्सेस किया जा सकता है, जिससे इलाज में सुधार होता है.
- दूरस्थ चिकित्सा (Telemedicine): दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए, कंप्यूटर और इंटरनेट का उपयोग किया जाता है. चिकित्सक वीडियो कॉल के माध्यम से मरीजों का इलाज कर सकते हैं, जिससे समय और संसाधनों की बचत होती है.
- मेडिकल अनुसंधान (Medical Research): कंप्यूटर का उपयोग जीनोम रिसर्च, दवा विकास, और बीमारी की पहचान जैसे महत्वपूर्ण अनुसंधान कार्यों में किया जाता है. सुपर कंप्यूटरों का उपयोग बड़े पैमाने पर डेटा प्रोसेसिंग के लिए किया जाता है, जो दवाओं के विकास में सहायक होते हैं.
4. मनोरंजन (Entertainment)
मनोरंजन के क्षेत्र में भी कंप्यूटर ने अपनी जगह बनाई है. फिल्मों से लेकर वीडियो गेम्स तक, कंप्यूटर ने इस क्षेत्र में बहुत सारे नए अवसर खोले हैं.
- फिल्म निर्माण (Film Production): कंप्यूटर का उपयोग फिल्मों में विशेष प्रभाव (special effects), 3D मॉडलिंग, और एनीमेशन बनाने के लिए किया जाता है. हॉलीवुड जैसी बड़ी फिल्म इंडस्ट्रीज इसका भरपूर उपयोग करती हैं. जैसे, “Avengers” जैसी फिल्मों में कंप्यूटर ग्राफिक्स और विशेष प्रभावों का उपयोग किया गया है.
- वीडियो गेम्स (Video Games): कंप्यूटर ने वीडियो गेमिंग इंडस्ट्री को नए आयाम दिए हैं. हाई-ग्राफिक्स वाले गेम्स, वर्चुअल रियलिटी (VR) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग करके गेम्स को और अधिक रोमांचक बनाया गया है.
- ऑनलाइन स्ट्रीमिंग (Online Streaming): अब लोग अपने पसंदीदा शो और फिल्में कंप्यूटर, स्मार्टफोन और अन्य उपकरणों के माध्यम से ऑनलाइन स्ट्रीम कर सकते हैं. Netflix, YouTube और अन्य स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स ने मनोरंजन के पारंपरिक तरीकों को बदल दिया है.
5. विज्ञान और इंजीनियरिंग (Science and Engineering)
कंप्यूटर का विज्ञान और इंजीनियरिंग में अत्यधिक उपयोग होता है. यह क्षेत्र कंप्यूटरों की मदद से नई खोजें और तकनीकी प्रगति हासिल कर रहा है.
- सुपर कंप्यूटर (Supercomputers): वैज्ञानिक अनुसंधान में सुपर कंप्यूटरों का उपयोग बड़े पैमाने पर डेटा प्रोसेसिंग, मौसम की भविष्यवाणी (Weather Forecast) और जीनोम रिसर्च जैसे कार्यों के लिए किया जाता है. इन कंप्यूटरों की तेज़ गणना शक्ति ने चिकित्सा, खगोलशास्त्र और भौतिकी में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं.
- सिमुलेशन (Simulation): इंजीनियरिंग में कंप्यूटर का उपयोग विभिन्न सिमुलेशन कार्यों के लिए किया जाता है. उदाहरण के लिए, हवाई जहाज के डिजाइन, कारों के क्रैश परीक्षण और रॉकेट विज्ञान में कंप्यूटर सिमुलेशन का उपयोग किया जाता है.
- रोबोटिक्स (Robotics): कंप्यूटर ने रोबोटिक्स के क्षेत्र में भी क्रांति ला दी है. आजकल रोबोट विभिन्न उद्योगों में काम कर रहे हैं, जैसे कि मैन्युफैक्चरिंग, चिकित्सा और अंतरिक्ष अन्वेषण. कंप्यूटर के जरिए इन रोबोट्स को नियंत्रित किया जाता है.
कंप्यूटर ने हर क्षेत्र में अपनी उपयोगिता साबित की है. चाहे वह शिक्षा हो, व्यवसाय, स्वास्थ्य सेवाएं, मनोरंजन या विज्ञान और इंजीनियरिंग, कंप्यूटर के बिना आज की दुनिया की कल्पना करना मुश्किल है. इसके लगातार विकास से हम नए-नए अवसरों की ओर बढ़ रहे हैं. यह हमारे कार्यों को और अधिक प्रभावी, सटीक और तेज़ बनाता है, जिससे हम अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में सुधार कर सकते हैं. भविष्य में कंप्यूटर के उपयोग के और भी अनगिनत क्षेत्र सामने आने की संभावना है.
कंप्यूटर की पीढ़ियां: एक संक्षिप्त इतिहास (Computer Brief History in Hindi)
कंप्यूटर आज हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है, लेकिन इसका विकास एक लंबी यात्रा का परिणाम है. इस यात्रा में कई दशक, शोध, नवाचार और तकनीकी प्रगति का योगदान रहा है. कंप्यूटर की दुनिया में विकास के हर दौर को “पीढ़ी” के रूप में परिभाषित किया गया है और इन पीढ़ियों का प्रत्येक कंप्यूटर की कार्यप्रणाली और उसकी क्षमताओं पर गहरा असर पड़ा है. तो आइए, कंप्यूटर की पाँच प्रमुख पीढ़ियों के बारे में जानते हैं और उनकी विशेषताओं को समझते हैं.
1. पहली पीढ़ी (1940-1956)
कंप्यूटर की पहली पीढ़ी का विकास द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हुआ था. इस समय के कंप्यूटर मुख्य रूप से वैक्यूम ट्यूब्स पर आधारित होते थे, जो कंप्यूटिंग के शुरुआती दिन थे. इन मशीनों का आकार बहुत बड़ा था और इनका संचालन काफी धीमा था. पहली पीढ़ी के कंप्यूटर में मुख्य रूप से बाइनरी कोड का उपयोग किया जाता था, लेकिन इनकी स्मृति और कार्यक्षमता सीमित थी.
विशेषताएँ:
- वैक्यूम ट्यूब्स (Vacuum Tubes): कंप्यूटर के मुख्य घटक के रूप में वैक्यूम ट्यूब्स का उपयोग किया गया था.
- बड़े आकार: इन मशीनों का आकार इतना बड़ा था कि इन्हें कमरे में रखा जाता था.
- बाइनरी कोड: कंप्यूटर के लिए बाइनरी कोड (0 और 1) का इस्तेमाल किया जाता था.
- धीमी गति: इन कंप्यूटरों की गणना की गति बहुत धीमी थी और वे सीमित कार्य कर सकते थे.
उदाहरण:
- ENIAC (Electronic Numerical Integrator and Computer): यह पहला इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर था, जिसे मुख्य रूप से गणना करने के लिए डिज़ाइन किया गया था.
- UNIVAC I (Universal Automatic Computer): यह पहला वाणिज्यिक कंप्यूटर था, जिसे वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया गया.
2. दूसरी पीढ़ी (1956-1963)
दूसरी पीढ़ी में वैक्यूम ट्यूब्स की जगह ट्रांजिस्टर ने ले ली, जो अधिक छोटे, सस्ते और ऊर्जा-कुशल थे. इसके परिणामस्वरूप कंप्यूटर छोटे आकार के होने लगे और उनकी कार्यक्षमता भी बढ़ी. दूसरी पीढ़ी में कंप्यूटर अधिक तेज़ और विश्वसनीय हो गए थे. इस दौर में प्रमुख रूप से उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषाओं का विकास हुआ जैसे; FORTRAN और COBOL. इन भाषाओं के माध्यम से कंप्यूटर को अधिक प्रभावी ढंग से प्रोग्राम किया जा सकता था.
विशेषताएँ:
- ट्रांजिस्टर: वैक्यूम ट्यूब्स की जगह ट्रांजिस्टर का उपयोग हुआ, जो छोटे और अधिक कुशल थे.
- उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषाएँ: FORTRAN, COBOL जैसी भाषाएँ कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में लोकप्रिय हो गईं.
- छोटा आकार: कंप्यूटर छोटे और अधिक सस्ते हो गए थे, जिससे ये अधिक उपयोगकर्ताओं तक पहुँचने लगे.
उदाहरण:
- IBM 7090: यह एक महत्वपूर्ण ट्रांजिस्टर-आधारित कंप्यूटर था जो वैज्ञानिक और व्यवसायिक उद्देश्यों के लिए उपयोगी था.
- CDC 1604: यह एक और प्रमुख ट्रांजिस्टर-आधारित कंप्यूटर था, जिसे मुख्य रूप से वैज्ञानिक गणना के लिए डिजाइन किया गया था.
3. तीसरी पीढ़ी (1964-1971)
तीसरी पीढ़ी में ट्रांजिस्टर की जगह इंटीग्रेटेड सर्किट्स (ICs) ने ले ली. ICs ने कंप्यूटर को और भी छोटे, सस्ते और तेज़ बना दिया. इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में मल्टीटास्किंग की क्षमता और बेहतर इंटरफेस का विकास हुआ. तीसरी पीढ़ी में कंप्यूटर के उपयोग का दायरा बढ़ा और ये शिक्षा, विज्ञान, चिकित्सा और व्यवसाय में अधिक व्यापक रूप से उपयोग किए जाने लगे. इसके साथ ही, ऑपरेटिंग सिस्टम की अवधारणा भी प्रचलित हुई, जिससे कंप्यूटर के प्रबंधन और संचालन में सुधार हुआ.
विशेषताएँ:
- इंटीग्रेटेड सर्किट (ICs): ICs ने ट्रांजिस्टर की जगह ली, जिससे कंप्यूटर और छोटे और सस्ते हो गए.
- मल्टीटास्किंग: तीसरी पीढ़ी में कंप्यूटर में मल्टीटास्किंग की क्षमता आई, जिससे एक ही समय में कई कार्य किए जा सकते थे.
- ऑपरेटिंग सिस्टम: विभिन्न ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे UNIX का विकास हुआ, जो कंप्यूटर को अधिक सुविधाजनक और प्रभावी बनाता था.
उदाहरण:
- IBM 360: यह एक प्रमुख कंप्यूटर प्रणाली थी, जिसे व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए डिज़ाइन किया गया था.
- DEC PDP-8: यह पहला इंटीग्रेटेड सर्किट आधारित मिनी कंप्यूटर था.
4. चौथी पीढ़ी (1971-1980)
चौथी पीढ़ी में इंटीग्रेटेड सर्किट्स के और भी छोटे संस्करणों का उपयोग किया गया. यह पीढ़ी माइक्रोप्रोसेसर आधारित थी, जो कंप्यूटरों को और भी छोटे और सस्ते बनाते थे. इस दौरान व्यक्तिगत कंप्यूटर (PCs) का प्रचलन हुआ और कंप्यूटर घरेलू उपयोग के लिए भी उपलब्ध होने लगे. माइक्रोप्रोसेसर, जो एक सिंगल चिप पर सभी कंप्यूटर कार्यों को नियंत्रित करते थे, ने कंप्यूटरों को क्रांतिकारी रूप से बदल दिया.
विशेषताएँ:
- माइक्रोप्रोसेसर: यह चिप कंप्यूटर के सभी कार्यों को नियंत्रित करता है, और इसे छोटे आकार में निर्मित किया गया है.
- पर्सनल कंप्यूटर (PCs): घरेलू उपयोग के लिए व्यक्तिगत कंप्यूटरों का विकास हुआ.
- ग्राफिकल यूज़र इंटरफेस (GUI): GUI की अवधारणा ने कंप्यूटर के उपयोग को अधिक सहज और सरल बना दिया.
उदाहरण:
- IBM Personal Computer (PC): यह पहला पर्सनल कंप्यूटर था जो बड़े पैमाने पर उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध हुआ.
- Apple Macintosh: यह एक और प्रमुख पर्सनल कंप्यूटर था, जो अपने यूज़र-फ्रेंडली इंटरफेस के लिए प्रसिद्ध था.
5. पाँचवी पीढ़ी (वर्तमान और भविष्य)
पाँचवी पीढ़ी की शुरुआत 1980 के दशक के अंत और 1990 के दशक की शुरुआत में हुई. इसका मुख्य उद्देश्य मानव-मशीन इंटरफेस को और अधिक स्वाभाविक और प्रभावी बनाना है. इस पीढ़ी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग, नैचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP) और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी तकनीकों का विकास हुआ. ये प्रौद्योगिकियाँ कंप्यूटरों को न केवल अधिक स्मार्ट और आत्मनिर्भर बना रही हैं, बल्कि मानव-मशीन सहयोग के नए रूप भी उत्पन्न कर रही हैं.
विशेषताएँ:
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI): कंप्यूटर अब स्वचालित रूप से निर्णय लेने और समस्याओं का हल निकालने में सक्षम हैं.
- क्वांटम कंप्यूटिंग: यह एक नई प्रौद्योगिकी है जो पारंपरिक कंप्यूटिंग की सीमाओं को पार करने में सक्षम है.
- उच्च गति और क्षमता: वर्तमान में कंप्यूटर अत्यधिक गति और विशाल भंडारण क्षमता के साथ आते हैं.
उदाहरण:
- Google AI: यह एआई आधारित सिस्टम है जो प्राकृतिक भाषा, चित्र पहचान, और अन्य कार्यों में सक्षम है.
- IBM Watson: यह एक शक्तिशाली एआई सिस्टम है, जो डेटा को प्रोसेस और विश्लेषण करने के लिए उपयोग किया जाता है.
कंप्यूटर की विकास यात्रा कई दशकों से चल रही है, और आज हम जिन कंप्यूटरों का उपयोग करते हैं, वे पहले के कंप्यूटरों से कहीं अधिक सक्षम और कुशल हैं. हर पीढ़ी ने तकनीकी रूप से नए आयामों को खोला और कंप्यूटरों की कार्यप्रणाली में सुधार किया. आने वाले समय में, नई तकनीकें जैसे क्वांटम कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) कंप्यूटर की पीढ़ी को और भी अधिक उन्नत बना सकती हैं.
भारत में कंप्यूटर का आविष्कार और विकास – (Computer Development in India in Hindi)
कंप्यूटर ने दुनिया को एक नए आयाम तक पहुँचाया है. आज हम जिस डिजिटल युग में जी रहे हैं, उसमें कंप्यूटर की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण है. भारत, एक देश जो प्राचीन विज्ञान और गणित के क्षेत्र में समृद्ध रहा है, ने भी कंप्यूटर के विकास में अहम योगदान दिया है. भारत में कंप्यूटर के आविष्कार और विकास की यात्रा रोचक और प्रेरणादायक है. यह यात्रा एक ऐसी कहानी है जिसमें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के योगदान को प्रमुख स्थान प्राप्त है।
1. भारत में कंप्यूटर का प्रारंभ
भारत में कंप्यूटर का आगमन 1950 के दशक में हुआ था. इस समय तक कंप्यूटर दुनिया के कुछ देशों में विकसित हो चुके थे और भारत में कंप्यूटर को लेकर एक शुरुआती जिज्ञासा देखने को मिली. भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने पश्चिमी देशों से कंप्यूटर के बारे में जानकारी प्राप्त करना शुरू किया. भारत में पहला कंप्यूटर एक विदेशी डिज़ाइन का था जिसे भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों द्वारा भारत में स्थापित किया गया. इस समय भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कंप्यूटर के विकास के लिए कोई मजबूत बुनियादी ढाँचा नहीं था, लेकिन फिर भी कुछ पहलू थे जो भारत को कंप्यूटर के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए प्रेरित करने वाले थे.
2. भारतीय गणना विज्ञान और कंप्यूटर का प्रारंभिक योगदान
भारत का प्राचीन गणना विज्ञान और अंकगणित कंप्यूटर के लिए एक स्थिर नींव के रूप में खड़ा हुआ था. आर्यभट, ब्रह्मगुप्त और वेदांत देव जैसे महान गणितज्ञों ने भारतीय गणित को उच्चतम स्तर पर पहुँचाया. आर्यभट ने 5000 साल पहले ही शून्य का आविष्कार किया था, जिससे गणनाओं में अत्यधिक सटीकता और सरलता आई. ब्रह्मगुप्त ने दशमलव प्रणाली का उपयोग किया और वेदांत देव ने अंकगणित के सूत्रों को संकलित किया. ये सभी योगदान आधुनिक कंप्यूटर विज्ञान के लिए महत्वपूर्ण आधार बने.
3. भारतीय कंप्यूटर के विकास की पहली पीढ़ी
भारत में कंप्यूटर के प्रारंभिक विकास में मुख्य योगदान इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीट्यूट (ISI) और भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) जैसे संस्थानों का था. 1950 के दशक में भारत में पहला कंप्यूटर वैक्यूम ट्यूब तकनीक पर आधारित था. इस समय भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने पश्चिमी देशों से कंप्यूटर की तकनीकी जानकारी ली और इसे भारत में लागू किया.
1955 में भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलोर में पहला कंप्यूटर स्थापित किया गया, जिसे विक्रम साराभाई के मार्गदर्शन में चलाया गया. इस कंप्यूटर को भारतीय वैज्ञानिकों ने इम्पोर्ट किया था और इसे भारतीय विज्ञान संस्थान में स्थापित किया गया. इसके बाद भारत में कम्प्यूटर विज्ञान के क्षेत्र में तेजी से वृद्धि हुई और संस्थान ने अनेक शोध कार्यों में कंप्यूटर का उपयोग किया.
4. भारत में कंप्यूटर के विकास में योगदान
कंप्यूटर के विकास में भारतीय वैज्ञानिकों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जो न केवल भारत, बल्कि दुनिया भर में प्रसिद्ध हुआ है.
4.1. शंकर आय्यर और पहले भारतीय कंप्यूटर
भारत में पहला कंप्यूटर प्रोग्रामर शंकर आय्यर थे, जिन्होंने 1955 में IISc (Indian Institute of Science) में कंप्यूटर का उपयोग करना शुरू किया. शंकर आय्यर का यह योगदान भारतीय कंप्यूटर इतिहास में मील का पत्थर माना जाता है. वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने कंप्यूटर विज्ञान की आधुनिक शैली में शोध करना शुरू किया और उनके द्वारा तैयार किए गए कई प्रोग्राम्स ने भारतीय कंप्यूटर विकास को एक नया दृष्टिकोण प्रदान किया.
4.2. एचसीएल और टाटा की कंपनियों का योगदान
भारत में कंप्यूटर उद्योग के प्रारंभिक विकास में एचसीएल (HCL) और टाटा जैसी कंपनियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. इन कंपनियों ने भारतीय कंप्यूटर विज्ञान और तकनीकी विकास में अहम भूमिका निभाई है. एचसीएल, जो अब एक प्रमुख आईटी कंपनी बन चुकी है, ने 1970 के दशक में भारत के पहले स्वदेशी कंप्यूटरों का उत्पादन किया था. इस समय में एचसीएल ने विश्व स्तर पर भारतीय कंप्यूटर को एक पहचान दिलाने की दिशा में काम किया.
4.3. प्रौद्योगिकी के विकास में भारतीय इंजीनियरों की भूमिका
भारत के इंजीनियरों ने कंप्यूटर और सूचना प्रौद्योगिकी (IT) के क्षेत्र में महत्वपूर्ण शोध कार्य किए. भारतीय इंजीनियरों के योगदान से ही भारत में सूचना प्रौद्योगिकी की नई दिशा का निर्धारण हुआ. डॉ. राजीव दीक्षित, प्रो. एम. एस. स्वामीनाथन, और डॉ. विक्रम साराभाई जैसे वैज्ञानिकों ने भारतीय कंप्यूटर विज्ञान को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया.
5. भारत में कंप्यूटर के विकास की दूसरी पीढ़ी
1970 के दशक में भारत में कंप्यूटर का विकास तेजी से हुआ. इस समय तक भारत ने अपनी खुद की स्वदेशी कंप्यूटर प्रणालियाँ विकसित की थीं. INDIA-1 और Tata Institute of Fundamental Research (TIFR) के सहयोग से भारत में अपनी पहली मिनी कंप्यूटर प्रणाली बनाई गई थी. इसके बाद IISc और IIT (Indian Institutes of Technology) जैसे संस्थानों में कंप्यूटर विज्ञान की शिक्षा का विस्तार हुआ और इन संस्थानों ने भारतीय समाज में कंप्यूटर शिक्षा को बढ़ावा दिया.
भारत में कंप्यूटर के क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण विकास हुआ, जब 1980 के दशक में सुपरकंप्यूटर के क्षेत्र में भारतीय वैज्ञानिकों ने नई दिशा दी. सी-डैक (C-DAC) द्वारा विकसित PARAM और SUPER 3000 जैसे सुपरकंप्यूटरों ने भारतीय वैज्ञानिकों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई. यह सुपरकंप्यूटर मौसम विज्ञान, खगोलशास्त्र और रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्यों के लिए उपयोग किए गए थे.
6. भारत में कंप्यूटर शिक्षा का विकास
भारत में कंप्यूटर विज्ञान की शिक्षा ने 1980 के दशक से एक नई दिशा पाई. भारत सरकार ने 1984 में नेशनल टेक्नोलॉजी मिशन (NTM) की शुरुआत की, जिसका मुख्य उद्देश्य भारतीय समाज में कंप्यूटर शिक्षा और इसके उपयोग को बढ़ावा देना था. इसके बाद आईआईटी और एनआईटी जैसे संस्थानों में कंप्यूटर विज्ञान और सूचना प्रौद्योगिकी में विशेष पाठ्यक्रम की शुरुआत हुई.
7. भारत में सॉफ्टवेयर उद्योग का उत्थान
भारत में कंप्यूटर के विकास के साथ-साथ सॉफ्टवेयर उद्योग का भी उत्थान हुआ. 1990 के दशक में भारत ने आउटसोर्सिंग की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया. भारत में सॉफ्टवेयर कंपनियाँ जैसे इंफोसिस, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), विप्रो और एचसीएल ने वैश्विक सॉफ्टवेयर बाजार में अपनी छाप छोड़ी. भारतीय कंपनियाँ तकनीकी समाधान, सॉफ्टवेयर सेवाएँ और आईटी आउटसोर्सिंग के लिए प्रमुख केन्द्र बन गईं.
भारत ने 1990 के दशक के अंत तक एक वैश्विक आईटी हब के रूप में पहचान बनाई और बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे शहर वैश्विक आईटी कंपनियों के लिए प्रमुख गंतव्य बन गए.
8. आज का भारत और भविष्य
आज भारत कंप्यूटर और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक वैश्विक नेता बन चुका है. भारत के प्रमुख तकनीकी संस्थान, जैसे आईआईटी, आईआईएससी, और सी-डैक, विश्वभर में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और अनुसंधान प्रदान कर रहे हैं. भारतीय कंपनियाँ और संस्थान वैश्विक स्तर पर सॉफ़्टवेयर विकास, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन और डेटा साइंस जैसी तकनीकों में अग्रणी हैं.
भारत में डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया और स्किल इंडिया जैसे अभियानों के तहत कंप्यूटर विज्ञान और सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और सरकारी सेवाओं में किया जा रहा है. भविष्य में क्वांटम कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकें भारत को और अधिक उन्नति की दिशा में ले जाएँगी.
भारत में कंप्यूटर का आविष्कार और विकास एक प्रेरणादायक यात्रा है. यह यात्रा वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और संस्थाओं के अथक प्रयासों का परिणाम है. आज भारत न केवल कंप्यूटर विज्ञान और प्रौद्योगिकी में विश्व में अग्रणी है, बल्कि यहाँ के युवा आईटी क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुके हैं. भारतीय गणना और विज्ञान की समृद्ध परंपरा को ध्यान में रखते हुए, भविष्य में कंप्यूटर विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत का योगदान और भी अधिक महत्वपूर्ण होगा.
तो कम्प्यूटर क्या है, कम्प्यूटर का परिचय आदि टॉपिक इस लेख में कवर किए गए हैं. हमे उम्मीद है कि यह लेख कम्प्यूटर से जुड़ी आपके बेसिक जानकारी को अपडेट करेगा और आपके लिए उपयोगी साबित होगा.
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